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एहसास

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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सोचा था एक होंगे हम,यही सोच लिए जा रहा हूँ,
सदभाव तो आदत है मेरी,यही मैं जिए जा रहा हूँ।

जाना था कहीं,कहीं और चले जा रहा हूँ,
तेरे हिस्से का गम भी,लिए जा रहा हूँ।

जिंदगी ये तेरे बगैर जिए जा रहा हूँ,
लग रहा है कोई अपराध किए जा रहा हूँ।

सुकर्मों से भाग्य चदरी को,सिए जा रहा हूँ,
हाय ये अफ़साने किसे मैं,दिए जा रहा हूँ।

तुम साथ आओ ना आओ मैं तो,आस लिए जा रहा हूँ,
तेरे ख्यालों में आता रहूँगा,ये आगाज़ किए जा रहा हूँ।

पा लूँगा एक दिन मैं तुम्हें,यह विश्वास लिए जा रहा हूँ।
दिल की गहराईयों को छुआ है तूने,एहसास किए जा रहा हूँ।

तेरे नाम का जख्म दिया है ज़माने ने,मैं भी उसे लिए जा रहा हूँ,
तुम्हारे मन में क्या है ये नहीं जानता,अब जानने की कोशिश किए जा रहा हूँ।

शौक नहीं था ग़ज़ल का मुझे,बस तेरी आशिकी में किए जा रहा हूँ,
अपना लो ‘उमेश’ को तुम अभी,ये नसीहत मैं दिए जा रहा हूँ।

कहे ‘उमेश’ सुन लो राज़े दिल,वरना दिल में दरार किए जा रहा हूँ,
मारा तेरी जुदाई ने मुझे लेकिन,पास हो तुम यह एहसास कर जिए जा रहा हूँ॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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