मेरी निद्रा

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** सामना नहीं हुआ,कभी देखा नहीं,नींद से साक्षात्कार कभी सोचा नहीं। कैसे गिरा,कैसे खोया,आगोश में,कभी नींद में मैंने,नींद से पूछा नहीं। अन्तर्मन में,उस चेतन जन में,कोष-कोष भीतर मन…

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