आओ धरती का करें श्रृंगार

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’शेखपुरा(बिहार)********************************************* पर्यावरण दिवस विशेष….. आओ सब मिल पेड़ लगाएं,पर्यावरण को स्वच्छ बनाएं। आओ धरती का करें श्रृंगार,करें पुन: प्राणवायु का संचार। धरती को हम सब सरसाएं,जगह-जगह पर पेड़ लगाएं। धरनी को जल पूर्ण बनाएं,पर्यावरण में संतुलन बनाएं। जीव-जंतु को स्व मित्र बनाएं,सुखमय सुंदर चरित्र बनाएं। जग को समझें अपना … Read more

मन की लहरें

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)************************************** समुद्र से बढ़कर हैं,जो मन की लहरें…बदलती पल-पल हैं,जो मन की लहरें। क्षण में बदल जाती,सोच यों ही मन की…कुछ बनती है पल में,सोच यों ही मन की। कुछ सोच बिगड़तीं,जो मन की लहरें…समुद्र से बढ़कर हैं,जो मन की लहरें। इंसान को पता क्या,कि होना क्या है…हँसी ढूंढते थे … Read more

हिंद देश की मिट्टी

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)************************************** हिंद देश की मिट्टी जिसकी,खुशबू बड़ी निराली है।जिसमें खेले-बड़े हुए ,देश की वादी अली है। सोंधी खुशबू इस मिट्टी की,लगती बड़ी प्यारी है।हिंद देश की शोभा अगणित,मनभावन हितकारी है। भारतवर्ष की शोभा देखो,महक रही हरियाली है।हिंद देश की मिट्टी जिसकीखुशबू बड़ी निराली है॥

मायावी फागुन

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************* फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष… फागुन,अगर तुम राधा हो-तो मेरा जीवन है किशन!प्रकृति की नशीली चाल से,माते है क्लांत मन उमंग से।मर्मरध्वनि सूखे पत्तों की,लगा-जैसे घुँघरू बांधे नाच रही है राधा,दुरन्त घूर्णी तप्तवायु के-रंगीन घाघरे-सा गुलाल उड़े!प्रखर सूरज में भी शीतलता-आम-महुआ की मादकता,पलाश-सेमल की लालिमा-कौन समझे फागुन,आपकी माया!प्रेमी बना है … Read more

जलदान-महादान

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************* जीवंत शिव जब प्यासा है,थोड़े पानी की ख़ोज में फिरता हैव्यथा है आडम्बर से पूजन का चल-पत्थर के माथे पर डालता है शीतल जल। प्रखर तेज ग्रीष्म की,प्रवाह तप्त वायु की,त्रस्त है धूल धूसरित श्रमवीर,पथचारीप्यास से फटते हैं प्राण घुमन्तु शिवों के-आशा है थोड़े-से शीतल पानी की। पर,कौन बुझाएंगे प्यास इनकी,इनको … Read more

पोषक सृजनहार भवानी

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’शेखपुरा(बिहार)********************************************* महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… प्रियतम हो तुम केन्द्र,हम धुरी,मेरी कमी को दूर करती पूरीतू है गौरव अभिमान हमारा,मैं हूँ तेरी आँखों का तारा। हे रत्नप्रिया कुमुदिनी कौमारी,हे सुकुमार सुगंधे राजदुलारीतुम स्वप्न सुंदरी मेरी प्रियतम,खुशहाल रहे ‌जीवन मधुतम। तू लेकर अपने विभिन्न रूप,करती करतब तू अति अनूप।जीवन की मधुरिम … Read more

उदास हूँ विरह से

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************* महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… पूनम की पूर्णशशि चन्द्रमुखी,कहाँ थी तुम छिपकरकाली रजाई ओढ़कर,रहस्यमयी बनकर। पहली तिथि में दिखाया तुम्हारा चेहरा,आसमां में बनकर एक टुकड़ा!रोज शाम ढूँढता हूँ तुमको कितना,एक प्रान्त से दूसरे प्रान्त आसमान का। थककर क्लांत-उदास हुआ है मन,जब न हो पाया तुम्हारा दर्शनन जाने कौन-सी मोह माया से-रखी हो … Read more

मेरी माँ

गोपाल चन्द्र मुखर्जीबिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************* अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष…. सुना था जिन शब्दों को आपके गर्भ से,अभिमन्यु जैसा किया था अन्तर्गमभूमिष्ट होकर पुकारा था उसी शब्द से-‘माँ’ तुम्हें,आप भी समझी,मुस्कुराए।मैं भी समझा आपको आपकी आवाज से,आपका चेहरा,समझकर आपकी भाषामुस्कुराया आपके दुलार भरे शब्दों से-वही शब्द ही निकला मेरे मुँह से बनकर ‘मातृभाषा’।इसी भाषा से ही … Read more

सभ्यता

मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)************************************** मानवता है-सभ्यताई जीवन,आदर्शवाद। इंसानियत-एक सभ्यता लक्ष्य,सम्मान देय। सद्भावना हो-सबसे प्रेम भाव,न्यायकारी जो। सबका हिती-सभी से आदर्शताव्यवहारिक। धीरतावान-दृढ़ निश्चय करे,आत्मविश्वासी।

तुमसे बेहतर

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** माना तुमसे कमतर हैं,कहीं न कहीं हम बेहतर हैं। पहचान हमारी खतरे में,हम शब्दों के बुनकर हैं। वो जज़्बाती अव्वल नंबर है,हम तो जन्म से पत्थर हैं। आना कुछ दिन बाद यहाँ,हालात शहर में बदतर हैं। मौत से हम घबराएं कैसे,जिंदा सब कुछ सह कर हैं। अबकी साँसें थमी हैं जा … Read more