इक्कीसवीं सदी का बीसवां वर्ष

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** इक्कीसवीं सदी का नया वर्ष बीसवां, सदियों बाद भी न ऐसा मेल मिलेगा। इसी सदी का वर्ष बीता उन्नीसवां, कहाँ जिन्दगी में अब वो वर्ष दिखेगा। नये वर्ष में अब रहें ये यहीं, बहारें न जाएं यहां से कहीं। फिजाँ इन बहारों की अब रहे यहीं, खिजाँ कोई … Read more

माटी प्रेम

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** कहो बहारों से आयीं हैं तो ठहर जाएंं, नजारे और वो फिजाएं चमन में बिखराएं। कहो बहारों से…ll है मेरे देश की माटी में सौंधी-सी खुशबू, इसी की प्यार-सी खुशबू से दिल को महकाएं। कहो बहारों से…ll हिन्दुस्तां के हर इक गाँव और शहर सारे, इसी की बू-ए-प्रेम … Read more

गगन

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** सितारों ने महफिल सजाई गगन पर, रहा चाँद तन्हा सदा ही गगन पर। बने बादलों के भी मंजर कई, मगर तन्हा सूरज भी रहा गगन पर। सदा चाँद देता है शीतल छटा, बनी अग्नि सूरज से ही तो गगन पर। बना चाँद खूबसूरती का निशां, दिखी सूर्य शक्ति … Read more

जंग-ए-हयात

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** कोई न मुकाबिल तुम्हारे,मगर तुम कम न कभी आँकना, सबके जुदा फन हैं,फनकार हो तुम,खुद को तभी आँकना। कोई न मुकाबिल… सबकी जुदा होती है रहगुजर ये,सबके अलग रास्ते, करता मशक्कत है हर कोई इसमें,जीने के वास्ते। उठाया हो जिसने भी जज्बों का बीड़ा,उसे वज्न से जांचना, सबके … Read more

संतुष्टि

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** सबसे अच्छी,सबसे सस्ती,है मन की संतुष्टि ही, मन में रहती पर न मिलती,कभी किसी को संतुष्टि। सुखों की जननी,दुखों की हरनी है जग में संतुष्टि ही, मिल के भी जो कभी न मिलती ऐसी भी है संतुष्टि। बेचैनी की सौतेली बहना,मन में रहती संतुष्टि ही, त्याग भाव को … Read more

भविष्य हो विश्व के तुम ही

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष……….. ओ लाल,मेरे लाल,सारे जग के बाल-गोपाल, रखना,तुम ही,मानवता को सम्भाल। ओ लाल…॥ भविष्य हो विश्व के तुम ही,मानवता के रखवाले, मिटने कभी न देना-२,मानवता के ये नाले। सदा ही सिंचित रखना,मानवता की जड़ों को, मानवता से ही दैत्यिक मिटाना बीहड़ों को। ओ लाल,मेरे … Read more

राम नाम की महिमा

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** राम नाम जप रे मनां,राम नाम ले जाप। तर जायेगा तेरा जीवन,राम धन मन में रख। जग जीत ले राम नाम तू जप के, मिटा ले विघ्न राम नाम के तप से। सबल,सहज,सजग,सरल,दिन रैन, राम नाम दे हर सुख और चैन। राम नाम की वाणी से, मिट जाते … Read more

हिन्दी भाषा

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** ऐ हिन्द में रहने वालों, हिन्दी का मान बढ़ाओ। हिन्दी भाषा की ही तुम… हिन्दी भाषा की ही तुम, सारे जग में अलख जगाओ। जय हिन्द,जय हिन्द,जय हिन्दी भाषा, जय हिन्द,जय हिन्द,जय हिन्दी भाषा। जब अंग्रेजी था शासन, तब बनकर उसने रावण हिन्दीभाषी को कुचला… हिन्दीभाषी को कुचला, … Read more

प्रकृति की गुहार

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** ओ आसमां वाले तू कभी आ तो जमीं पे, दे बन्दगी बन्दों को कभी आ के जमीं पे। ओ आसमां वाले… हर कोई यहां तेरे बनाये को मिटाता, बनाये को मिटाता, पर कोई मिटाये को नहीं फिर से बनाता, नही फिर से बनाता। हैं पेड़,नदी-नाले,सभी खत्म जमीं पे, … Read more

विवेक

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** अजय को सुबह आठ बजे आफिस पहुंचना होता है,लेकिन अक्सर नाश्ते में देर होने की वजह से वो समय पर नहीं पहुंच पाता। आज भी पौने आठ बज गए,पर नाश्ता नहीं लगा। अजय चिल्ला पड़ा,-“ये क्या तमाशा है रोज का! मैंने कल बताया था कि आज डायरेक्टर साहब … Read more