कुल पृष्ठ दर्शन : 222

You are currently viewing भविष्य हो विश्व के तुम ही

भविष्य हो विश्व के तुम ही

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

**********************************************************************

विश्व बाल दिवस स्पर्धा विशेष………..


ओ लाल,मेरे लाल,सारे जग के बाल-गोपाल,
रखना,तुम ही,मानवता को सम्भाल।
ओ लाल…॥

भविष्य हो विश्व के तुम ही,मानवता के रखवाले,
मिटने कभी न देना-२,मानवता के ये नाले।
सदा ही सिंचित रखना,मानवता की जड़ों को,
मानवता से ही दैत्यिक मिटाना बीहड़ों को।
ओ लाल,मेरे लाल, सारे जग के बाल-गोपाल,
ओ लाल…॥

न भेद-भाव रखना तुम,जातों,धर्मों का मन में,
हर इक से मिलकर रहना-२,बच्चों सारे जीवन में।
उंगलियों से मजबूती,होती है मूठ में प्यारों,
न साथ कभी भी छूटे,इक-दूजे का दुलारों।
ओ लाल,मेरे लाल,सारे जग के बाल-गोपाल,
ओ लाल…॥

बनकर किसान खेतों के,हर पेट को देना दाना,
तुम बन जवान सीमा पे-२,दुश्मन से देश बचाना।
माटी का कर्ज चुकाना,तुम मातृ-भूमि चरणों की,
बनकर मिसाल दोहराना,गाथाएं तुम वीरों की।
ओ लाल,मेरे लाल,सारे जग के बाल-गोपाल,
ओ लाल…॥

ये ललाट भारत माँ का,सदा ही रखना ऊंचा,
बच्चों कभी भी इसको-२,झुकने न देना नीचा।
इस वर्तमान से सीखो,उज्ज्वल भविष्य को करना,
देनी जो पड़े कुर्बानी,तो प्यारों कभी न डरना।
ओ लाल,मेरे लाल,सारे जग के बाल-गोपाल,
ओ लाल…॥

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

Leave a Reply