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राम नाम की महिमा

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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राम नाम जप रे मनां,राम नाम ले जाप।
तर जायेगा तेरा जीवन,राम धन मन में रख।
जग जीत ले राम नाम तू जप के,
मिटा ले विघ्न राम नाम के तप से।
सबल,सहज,सजग,सरल,दिन रैन,
राम नाम दे हर सुख और चैन।
राम नाम की वाणी से,
मिट जाते हर दु:ख प्राणी के।
राम का है घट-घट में वास,
राम नाम ले जप रे मन तू…
राम नाम ले जप॥

भोर भये राम नाम जप करना,
राम कवच से विघ्न हर ढंकना।
छल,बैर,पाप,कपट,पास न फटकें,
राम नाम को संग में तू धरना।
राम हैं हर पल,हर युग के नाथ,
राम नाम ले जप रे मन तू….
राम नाम ले जाप॥

सिमर-सिमर तू राम का नाम,
राम नाम का कर सिमरन।
मुक्ति जनम-मरण से होगी,
राम नाम है सबसे उत्तम।
राम नाम की वाणी बोल,
स्वर्ग-लोक के पट ले खोल।
राम की लीला अपरम्पार,
राम नाम सबसे अनमोल।
राम ही हैं सब सुखन के दात्,
राम नाम ले जाप रे मन तू…
राम नाम ले जप॥

राम नाम की ऐसी माया,
कोई न खोया सबने कुछ पाया।
खुद मैं धन्य हुआ मैं पाया,
राम नाम की है छाया।
आकाश,पाताल,वायु,जल,अग्नि,
राम नाम ही कण-कण माही समाया।
धनपति हुआ हर वो नर जिसने,
राम नाम का धन है कमाया।
राम नाम की कोई जात न पात,
राम नाम ले जाप रे मन तू…
राम नाम ले जप॥

राम की महिमा कही न जाई,
राम हरें सब पीर पराई।
छल,पाप,कपट,मन-बैर,
राम आगे न इनकी खैर।
राम करें सुख की रखवाली,
राम नाम से होय दिवाली।
राम को जप के,जग को जीत,
राम नाम से बन जा जगमीत।
राम पीछे ही सब सुख आत्,
राम नाम ले जाप रे मन तू…
राम नाम ले जप॥

राम नाम धुन लागी मोहे,
राम नाम की धुन लागी।
राम नाम प्रभु दर्शन देता,
राम नाम तो मिले बड़-भागी।
जूठ खाय जूठन को मिटायो,
सबरी संग सांचो प्रेम जतायो।
केवट की शंका राम मिटायो,
पैर पखार के केवट जग से तरयो।
कब जाने मैं रामहि पावउंं,
राम मिलें तो मैं तर जावउंं।
राम से मुक्ति मारग मिल जात्,
राम नाम ले जाप रे मन तू…
राम नाम ले जाप॥

कर दे प्रभु मेरो राम संग मेल,
मैं बन जाऊं राभ तरु-बेल।
राम चरणन् की धूल बन जी लूं,
राम के बैन दिन रैन ध्यावउंं।
तजौं सब दुष्कर्मन की पैंठ,
करौं प्रभु राम कर्मन की ऐंठ।
प्रभु किरपा कर मेल दे राम से,
मैं गाऊं राम नाम का ही गान।
राम करण कारण रहौं,
राम छाड़ कभी कछू न कहौं।
राम नाम की करौं बस बात,
राम नाम ले जाप रे मन तू…
राम नाम ले जप….॥

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

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