झील,पेड़,और नदियाँ कहाँ हैं मेरी ?

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** तू बुलाती है मुझे बार-बार क्यों री धरा, तेरे ही नुमाईन्दों ने ध्यान मेरा कहाँ धरा। मैंने तेरे पास छोड़ अपनी बेटियों को रखा, तेरे ही नुमाईन्दों ने उनका क्यूँ विनाश किया। अब मैं आऊं भी वहाँ तो बता तू किसके लिये ? मेरे आने का जरिया तो … Read more

प्रकृति

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** बन के सूरज तू जगत में रौशनी की किरणें बिखरा, चाँद की शीतलता लेकर तू इस धरा पर आ। झील का तू नीर बन,जग में सबकी प्यास बुझा, कल-कल करते नदी के जल की स्वर लहरी घर-घर सुना। ऊंचे पर्वत शिखर-सा तू अपना जमीर ऊंचा उठा, आदमी को … Read more

तू कहीं नहीं जाना

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** ऐ मेरी जाने ग़ज़ल,तू कहीं नहीं जाना, तेरे होने से ही सुकूं का है आना-जाना। मेरी तन्हाई सताती बहुत ही मुझको, तेरे जाते ही इसका रहता है आना-जाना। इतना मशगूल मुझे रखती है शिद्दत तेरी, वक्त का भी नहीं पता चलता है आना-जाना। तेरी शिरकत ने ‘चहल’ को … Read more

सच या झूठ..

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** हरी आठवीं कक्षा का छात्र था। अचानक वो कक्षा-कक्ष के दरवाजे के सामने आकर गिरा। असल में वो दौड़ते हुए अचानक रुकने की कोशिश में सम्भल नहीं सका,और फिसलकर गिर गया। उठकर अध्यापक से सहमति लेकर कक्षा में गया। अध्यापक जी की डपट पड़ी-“आज फिर देर।” “सरजी साईकिल … Read more

गुजर

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** वक्त गुजरा है मेरा,मैं अभी नहीं गुजरा, मेरी खुशियों,गमों को ले के साथ ये गुजरा। इसने ही बनाये ये हालात मेरे अच्छे-बुरे, आते-जाते हुए हालातों को भी ये ले गुजरा। इसकी ही तर्ज पे बनते-बिगड़ते हैं रिश्ते, रिश्तों को बना के यही रिश्ते तोड़कर गुजरा। आता-जाता रहा ये … Read more

अब तो आजा सनम…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** चाँद भी छुप गया,रात भी ढल गई, अब तो आजा…मेरा दम निकलने को है। वादियां जग उठीं,रास्ते चल पड़े, मेरी रुह अपना चोला बदलने को है। अब तो आजा सनम… चाँद और चाँदनी इश्के मशगूल थे, खूब शबनम बरसती,टपकती रही। हसरते यार दीदार को रातभर, मेरी नजरें तरसती,भटकती … Read more

नजराना

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** कायनात के मालिक से,नजराना धरा ने पाया, देखो सूरज फिर अम्बर दीप बनकर धरा पे आया। साथ वो अपने रौशन किरणों का नया सबेरा लाया, इसके आने से कायनात ने फिर इक नया आज पाया। शबनम सूख गई दृख्तों के पात पे, चहचहाहट चिड़ियों की होने लगी हर … Read more

कल,आज और कल

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** जो कल हमपे है बीत चुका, उस कल की फिर क्यूँ चाह करें। जो कल हमने देखा ही नहीं, उस कल के लिए क्यूँ आह भरें। है आज हमारे साथ में तो, इस आज को जी भर के जी लें। खुशियों के सागर में डूबें, मस्ती के पैमाने … Read more

मन

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** मन पापी,मन दोगला,मन ही साँचा मीत, बैरी और कपटी भी मन,मन ही करता प्रीत। मोल दिये न मन मिले मन तो है अनमोल, मनो-मन,मन बेमोल है,कह प्रेम के बस दो बोल। जग तेरा बन जायेगा,रस प्रेम जगत में घोल, मन ही साँचा मीत रे… रब है मन में,मन … Read more