अपनापन

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** दिल के झरोखों से,प्यार झलकता हैआपकी वाणी में,अपनापन दिखता है।तभी तो आपसे निगाहें,मिलाने को मन करता हैऔर तुम्हें दिल से,अपनाने का मन करता है॥ कौन कहता है कि तुम,दिल नहीं लगा सकतेऔर किसी को अपना,बन नहीं सकते।क्योंकि दोस्तों ये,दिल का मामला हैजिसे पत्थर दिल,निभा नहीं सकते॥ फूलों की तरह सुंदर हो,दिल से … Read more

आत्मा को ही हमने मारा

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** देख अपनी विजय को,रावण मुस्कराता है, उत्सव अपनी विजय का,वह खूब मनाता है। अधर्म ने आज धर्म को,छल से मारा है, रावण जीत गया है,राम आज हारा है। वीर का तेज समक्ष,अन्याय के झुक गया है, दीपक का स्नेह यूँ,तम में ही चुक गया है। मानवता का कथन,पूर्णत: व्यर्थ हुआ है, … Read more