अपनापन

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** दिल के झरोखों से,प्यार झलकता हैआपकी वाणी में,अपनापन दिखता है।तभी तो आपसे निगाहें,मिलाने को मन करता हैऔर तुम्हें दिल से,अपनाने का मन करता है॥ कौन कहता है…

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आत्मा को ही हमने मारा

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** देख अपनी विजय को,रावण मुस्कराता है, उत्सव अपनी विजय का,वह खूब मनाता है। अधर्म ने आज धर्म को,छल से मारा है, रावण जीत गया है,राम आज…

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