शहर सोता है…

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** गली-चौराहों में यह सन्नाटा हुआ पसरा, न कोई गतिविधि,और न कोई भी त्वरा। कोलाहल भरी सड़कों पर,नया मौन होता है, देख लेखनी! मेरा शहर बंद घरों…

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आत्मा को ही हमने मारा

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** देख अपनी विजय को,रावण मुस्कराता है, उत्सव अपनी विजय का,वह खूब मनाता है। अधर्म ने आज धर्म को,छल से मारा है, रावण जीत गया है,राम आज…

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आत्मा का स्वाभाविक धर्म है क्षमा

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** जैन धर्म में पर्यूषण पर्व के उपरांत 'क्षमावाणी' पर्व मनाया जाता है,जिसमें प्रत्येक व्यक्ति अन्य से जाने-अनजाने में किए गए किसी ऐसे काम के लिए क्षमा…

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भारत का किरीट

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** उठ भारत! हो जाग्रत,और किरीट सम्हाल अपना, जो झुका सदियों से,उठा सम्मान से भाल अपना। जो हुआ विगत उसकी परत को मन से त्याग दे, गौरव…

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कैसे लिखूँ प्रेम गीत मैं

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** अनय अधर्म का वर्चस्व चतुर्दिक प्रबल हो रहे अन्याय अत्याचार है, कवि! कैसे मान लूँ तेरे कहने पर प्रेममय यह मानव का संसार है? पशुत्व पूजित…

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मातृ वंदना

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… माता शब्द है जो ममता मानवता का नाम। हृदय से करूँ सभी माताओं को प्रणाम॥   जन्मदायिनी हे माता! तेरा तो पर्याय…

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धर्मयुद्ध

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** जब रणभूमि में आ आमने-सामने शक्तियाँ धर्म अधर्म की टकरातीं हैं, योद्धाओं के सिंहनाद से यह धरा भयभीत होकर बार-बार थर्रातीं है। तब भी यदि कोई…

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धरा पुत्र

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… जो कर समर्पित जीवन अपना, करते रक्षित समस्त यह नृवंश अपने बलिदानों से सहते रहते, प्रकृति पर लगते जो विष दंश।…

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आह्वान

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** भय के भयानकतम के मध्य साहस का दीपक जलाओ तुम, विनाश की घुटन में हो निर्भय निर्माण के गीत अब गाओ तुम। जो बन गए युगों-युगों…

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नारी उदघोष

क्षितिज जैन जयपुर(राजस्थान) ********************************************************** ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… मैं प्रतीक विश्व सृजन शक्ति की, मैं निर्माण का मधुर राग हूँ त्याग और स्नेह से बनी हुई, प्रकृति की करुणा…

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