कृष्ण कह तू …

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. कृष्ण कह तू या कन्हैया या मदन गोपाल कह, हर क्षणों में वह छुपा है इन पलों से प्यार कर। कौन कहता है नहीं वह इस धरा के धाम पर, धड़कनों में वह बसा है थोड़ा चित्त को ध्यान धर। तू कन्हैया पाने की हठ … Read more

दिल के झरोखे में तुझको बिठाकर…

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* मो.रफी पुण्यतिथि विशेष-३१ जुलाई जीवन में हर इंसान के सामने कुछ ऐसे लम्हे आते हैं,जिन्हें भुनाकर वह लोकप्रियता के शीर्ष पर आ जाता है तो कभी ऐसे ही मौकों से विमुख हो पतन की और अग्रसर हो जाता है। यही स्वर सम्राट मोहम्मद रफी पर भी लागू होता है। … Read more

जीत की खुमारी

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष………. आसमां पर है तिरंगा जो जमीं से छा गया, जीत की थी जो खुमारी सब पे नशा छा गया। ढूंढते थे जो रवानी बाजूओं में दम भी था, दुश्मनों की छातियों को रौंदने का जज्बा उनके मन में था। जिसने भी मेरी धरा को … Read more

करें योग व्यायाम

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* अंतरराष्ट्रीय योग दिवस विशेष……………. तन-मन और जीवन को आओ थोड़ा सरस बनाएं, करें योग व्यायाम ध्यान और जीवन को सरल बनाएं हम। जग में फैल रही कटुता पर योग ध्यान का लेप लगाएं, वाणी में भरकर मिठास नव जागृति का दीप जलाएं। कुंभ दंभ का फोड़ धरा पर होंठों … Read more

प्रशिक्षण खुद से खुद को लेना होगा

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* दर्जनों प्रशिक्षण, हम-तुम और वे यूँ ही लेते रहेंगे, नई-नई विधाएं नई- नई कलाएं, सीखना है ता-उम्र सीखेंगे। शिक्षण का प्रशिक्षण तो बिल्कुल उचित है, पर इससे परे किसी अन्य का प्रशिक्षण, हमारी समझ से परे है। उद्देश्य तुम्हारा सिर्फ शिक्षा का ही हो, तो भर धूप,बारिश में भी … Read more

माँ ही परिभाषा

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… हर परिभाषा माँ से होती, माँ ही हर परिभाषा होती। माँ प्रेम का शब्दकोश है, और विजय का जयघोष है। जल-जल कर वह दीप नवल-सी, पल में तम सारा हर लेती। तन के सारे दर्द छुपाती, माँ दुलराती बचपन-सी। जेठ दुपहरी सावन जैसी, माँ है … Read more

खुशियों के बीज

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष…………… हरी-भरी वसुन्धरा को, देख कर मेरा वतन मुस्कुरा रहा है ऐसे, फूल का कोई चमन। हर जवान देखता है, सीना तानकर यहां आजाद,भगत,बोस ने, जन्म लिया हो जहां। जमीं है मेरे प्यार की, जमीं मेरे दुलार की महक ये बिखेरती, प्रेम,पावन,प्यार की। ये धरा … Read more

बदलते रंग-रामभरोसे के संग

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* आज वर्तमान परिवेश में व्यक्ति के जीवन में रंगों की अहमियत बढ़ती ही जा रही है,फिर वह होली के रंग हों,मुस्कानों के रंग हों,या आध्यात्म के रंग,बस रंगों का होना ही जीवन की सार्थकता को सही मुकाम देता है। फिर भी नित्य नए रंग बदलती इस बहुरंगी दुनिया में … Read more

मुस्कान है नारी

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… नारी जीवन का संबल है, और संबल ही नारी है। नारी नहीं है शब्द का मुखडा़, सब परिभाषा नारी है। नारी शब्द में खुशबू भरी है, चम्पा,चमेली,मोगरा की नारी नहीं बस वह इस धरा की, जीवन पालनहारी है। नहीं कभी भी मुरझाई है, नहीं … Read more

सबसे बडा़ रुपैया

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’ इन्दौर मध्यप्रदेश) ********************************************* सबसे बडा़ रुपैया रे भैया, सबसे बडा़ रुपैया… आज की दुनिया में देखो ये, नाच रहा है रुपैया। टूट रहे परिवार यहां पर, मूल में है रुपैया… शर्म नहीं संकोच नहीं, बस भाता है रुपैया। सबसे बडा़ रुपैया रे भैया, सबसे बडा़ रुपैया…। कैसा करम और कैसा धरम, बस … Read more