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सबसे बडा़ रुपैया

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’
इन्दौर मध्यप्रदेश)
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सबसे बडा़ रुपैया रे भैया,
सबसे बडा़ रुपैया…
आज की दुनिया में देखो ये,
नाच रहा है रुपैया।

टूट रहे परिवार यहां पर,
मूल में है रुपैया…
शर्म नहीं संकोच नहीं,
बस भाता है रुपैया।
सबसे बडा़ रुपैया रे भैया,
सबसे बडा़ रुपैया…।

कैसा करम और कैसा धरम,
बस भरम को पाले रुपैया…
कैसी माई,कैसा भैया,
उनका तो है रुपैया।
सबसे बडा़ रुपैया रे भैया,
सबसे बडा़ रुपैया…।

कैसी होती है नैतिकता,
कैसा धैर्य रे भैया…
नहीं चरित्र है उसका कोई,
नहीं भावना भैया।
सबसे बडा़ रुपैया रे भैया,
सबसे बडा़ रुपैया…।

कद से अपने ऊपर जाकर,
कितना गिरते हैं भैया…
जागने की तो बातें छोड़ो,
सपने में गिने रुपैया।
सबसे बडा़ रुपैया रे भैया,
सबसे बडा़ रुपैया…।

हम तो सबसे कहते भैया,
कहां ले जाए रुपैया ?
प्रेम के रस की रोटी गूंथो,
चैन से जी लो भैया…
जीवन की एक राह यही है,
मुस्का लो तुम भैया।
सबसे बडा़ रुपैया रे भैया,
सबसे बडा़ रुपैया…ll

परिचय-कार्तिकेय त्रिपाठी का उपनाम ‘राम’ है। जन्म ११ नवम्बर १९६५ का है। कार्तिकेय त्रिपाठी इंदौर(म.प्र.) स्थित गांधीनगर में बसे हुए हैं। पेशे से शासकीय विद्यालय में शिक्षक पद पर कार्यरत श्री त्रिपाठी की शिक्षा एम.काम. व बी.एड. है। आपके लेखन की यात्रा १९९० से ‘पत्र सम्पादक के नाम’ से शुरु हुई और अनवरत जारी है। आप कई पत्र-पत्रिकाओं में काव्य लेखन,खेल लेख,व्यंग्य और फिल्म सहित लघुकथा लिखते रहे हैं। लगभग २०० पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी पर भी आपकी कविताओं का प्रसारण हो चुका है,तो काव्यसंग्रह-‘ मुस्कानों के रंग’ एवं २ साझा काव्यसंग्रह-काव्य रंग(२०१८) आदि भी प्रकाशित हुए हैं। काव्य गोष्ठियों में सहभागिता करते रहने वाले राम को एक संस्था द्वारा इनकी रचना-‘रामभरोसे और तोप का लाईसेंस’ पर सर्वाधिक लोकप्रिय कविता का पुरस्कार दिया गया है। साथ ही २०१८ में कई रचनाओं पर काव्य संदेश सम्मान सहित अन्य पुरस्कार-सम्मान भी मिले हैं। इनकी लेखनी का उदेश्य सतत साहित्य साधना, मां भारती और मातृभाषा हिंदी की सेवा करना है।

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