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प्रशिक्षण खुद से खुद को लेना होगा

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’
इन्दौर मध्यप्रदेश)
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दर्जनों प्रशिक्षण,
हम-तुम और वे
यूँ ही लेते रहेंगे,
नई-नई विधाएं
नई- नई कलाएं,
सीखना है
ता-उम्र सीखेंगे।
शिक्षण का प्रशिक्षण
तो बिल्कुल उचित है,
पर इससे परे
किसी अन्य का प्रशिक्षण,
हमारी समझ से परे है।
उद्देश्य तुम्हारा सिर्फ
शिक्षा का ही हो,
तो भर धूप,बारिश में भी
ज्ञान बरसा देंगे,
पत्थर ही क्या
लोहे को भी पिघला देंगे।
लेकिन वर्ष में छप्पन सप्ताह,
जी हाँ,दोहरी ड्यूटी,
प्रशिक्षण,सर्वे,फोटोग्राफी
ड्यूटी के नाना प्रकार,
भिन्न-भिन्न विभाग
और डाक पर डाक,
स्टार प्लस के
धारावाहिक की तरह,
मुँह चिढा़ती वास्तविकता।
तो दूसरी और शून्य प्रतिशत,
बनाम डी ग्रेड की
लटकती दुधारी तलवार,
किसी को नहीं सुहाती
तभी तो वार्षिक मूल्यांकन में,
साम-दाम,दंड-भेद
कुछ अपवादों को छोड़,
होकर सभी जवाबों से लैस,
अपना ईमान,अपनी नैतिकता
ताक पर रखकर,
इम्तिहान लेते हैं
या कहो देते हैं,
परिणाम आने पर
बधाई के वास्तविक हकदार,
पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।
प्रशिक्षण तो शिक्षक को
खुद से खुद को लेना होगा,
हमारा सारा चिंतन-मनन
स्व परीक्षण का होगा,
उद्देश्य हमारा शिक्षा का,
बस तभी पूर्ण होगा॥

परिचय–कार्तिकेय त्रिपाठी का उपनाम ‘राम’ है। जन्म ११ नवम्बर १९६५ का है। कार्तिकेय त्रिपाठी इंदौर(म.प्र.) स्थित गांधीनगर में बसे हुए हैं। पेशे से शासकीय विद्यालय में शिक्षक पद पर कार्यरत श्री त्रिपाठी की शिक्षा एम.काम. व बी.एड. है। आपके लेखन की यात्रा १९९० से ‘पत्र सम्पादक के नाम’ से शुरु हुई और अनवरत जारी है। आप कई पत्र-पत्रिकाओं में काव्य लेखन,खेल लेख,व्यंग्य और फिल्म सहित लघुकथा लिखते रहे हैं। लगभग २०० पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी पर भी आपकी कविताओं का प्रसारण हो चुका है,तो काव्यसंग्रह-‘ मुस्कानों के रंग’ एवं २ साझा काव्यसंग्रह-काव्य रंग(२०१८) आदि भी प्रकाशित हुए हैं। काव्य गोष्ठियों में सहभागिता करते रहने वाले राम को एक संस्था द्वारा इनकी रचना-‘रामभरोसे और तोप का लाईसेंस’ पर सर्वाधिक लोकप्रिय कविता का पुरस्कार दिया गया है। साथ ही २०१८ में कई रचनाओं पर काव्य संदेश सम्मान सहित अन्य पुरस्कार-सम्मान भी मिले हैं। इनकी लेखनी का उदेश्य सतत साहित्य साधना, मां भारती और मातृभाषा हिंदी की सेवा करना है।

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