मौसमी उरतिया
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* सपनों से आज हुईं मनचाही बतिया, पता नहीं कौन पल बीत गयी रतिया। बरसाती मौसम की रिमझिम फुहारों से, खिड़की की जाली से छनती बौछारों से। तन-मन पर चुभती-सी रसभीनी सुइयां, जियरा को गुदगुदाय सतरंगी रुइया। न जाने ऐसे में उलझ गई मनुआ से, किसकी अनबूझी अनचीन्ही सुरतिया॥ रेशम के सपनों … Read more