संक्रान्ति-एक सीख

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष…. पुत्र से पिता मिले,शनि से सूर्य देवताद्वेष द्वन्द मिट गये,विश्व सकल देखता।सूर्य बैर भूल कर,शनि के नव घर गयेसारे ग्रह छोड़-छाड़,धनु से मकर गये।शांति…

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मन चंचल दिखलाऊँ

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** कैसे तनदर्शी दर्पण को,अपना मन चंचल दिखलाऊँअपनी आँखों को अपनी ही,आँखों का काजल दिखलाऊँ। जागें आँखें तो देखें जग,सोयें तो देखें कुछ सपना।तन भी देखें मन भी देखें,पर…

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ऐसी शरद पूर्णिमा को नमन

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. अति शुभ सरस सुहावना सुखद अति,आज हुआ जग में शरद त्रृतु आगमन,सोलह कलाओं युक्त चन्द्रमा प्रकट हुयेधरती पे हुआ महालक्ष्मी का अवतरण। गोपियों के…

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था वो काठियावाड़ी

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** गांधी जयंती विशेष..... आओ सुनाऊं बच्चों,गाथा तुम्हें न्यारी,जिसने दिया स्वराज था वोकाठियावाड़ी।कर में थी एक लाठी,तन पर थी लंगोटी,थी एक भुजा लम्बी कुछ एक थी छोटीथा भाल बहुत…

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भारत वन्दना

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************** जय जय जननी भारत धरणी,मेरा वन्दन स्वीकार करोभव सर तरणी सब दु:ख हरणी,जग जीवन का उद्धार करो। गंगा की अविरल धारा में, बहती है जिसकी कीर्ति अमर हिमगिरि…

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धीरे-धीरे भारतीयता भी छीन रही अंग्रेजी

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* हिंदी दिवस विशेष….. नई शिक्षा प्रणाली ने मातृभाषा की आशाएँ जगा दी हैं। उसे महसूस होने लगा है कि अच्छा समय आ रहा है। शताब्दियों से निराश और…

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सबक एक मर्तबा दे दो

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* हाय,कोई उसे दवा दे दो,बेहया चीन को वफा दे दो। उसकी करतूत उसको मारेगी,ये सबक एक मर्तबा दे दो। उसको इंसानियत का कोई भी,एक छोटा-सा फलसफा दे दो…

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तेरे तीर सब बेअसर जा रहे

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)********************************************************* निशाने नजर से किधर जा रहे हैं,तेरे तीर सब बेअसर जा रहे हैं। हमारा तो बंजारों वाला सफर था,वो समझे कि हम अपने घर जा रहे हैं। टिकी…

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प्यार का दीप इक जलाना है

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* जिन्दगी तू वो आशियाना है, जिसमें ख़्वाबों का इक खजाना है। अपने चारों तरफ अंधेरा है, प्यार का दीप इक जलाना है। इस नये दौर का…

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बात करना ठीक है क्या

विजयलक्ष्मी विभा  इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) ********************************************************* सुब्ह के निकले हुये हो,रात करना ठीक है क्या, हर घड़ी इक ख्वाब की ही बात करना ठीक है क्या। मत बढ़ो आगे,जरा ठहरो,वहां पर आसमा…

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