थम यायावर मन
ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** आज फिर मन छोड़ द्रुतगामी घोड़ा पास पैदल निकल गया,आज फिर जमे तहेदिल खुशियों का धधकता लावा पिघल गया। आज फिर सुबह की किरण मुझसे लिपट-लिपट कुछ कहने लगी,आज फिर एक चँचल-सी गिलहरी मेरे बगीचे में आकर रहने लगी। आज फिर बरसाती से धुले नर्म कोमल पत्ते हरे-हरे डोल रहे हैं,आज फिर स्वच्छ … Read more