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महान भारत जमीं

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष……..

माँ अपनी जन्मभूमि,बढ़ते हम रज चूमी,
महान भारत जमीं,इसी भू से याराना है।

सागर पर्वत वन,मरू,खेत भरे धन,
कण-कण को वंदन,गाएं हम तराना है।

देश की हम खाते हैं,मस्तक ये झुकाते हैं,
गद्दारी नहीं गाते हैं,विद्रोही समझाना है।

माँ जनसंख्या विशाल,नत करो मन भाल,
विकास उन्नति माल,माँ आँचल सजाना है।

दुश्मन करे कुचाल,हम भारती के लाल,
मिल कर एक ताल,अक्ल होश में लाना है।

जिंदादिल लोग हम,भारतीयों में है दम,
धूल डाल बाकी गम,तिरंगे तले आना है।

इस धरा कण-कण,जन्मे बाँकुरे रण,
बचाए जो जन-गण,रक्त मोल चुकाना है।

पंद्रह अगस्त आया,स्वाधीनता सर छाया,
उत्सव आंनद लाया,मौसम भी सुहाना है।

आन-बान है तिरंगा,देश का प्राण तिरंगा,
अभिमान है तिरंगा,गगन फहराना है॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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