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कान्हा तुम धड़कन

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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कान्हा तुम धड़कन,
तुम मेरी थिरकन
साँस-साँस सिमरन,
तुम ही हो प्रान में।

तुम भजन कीर्तन
मंदिर या उपवन
शीत और हो अगन,
मोहन ही ध्यान में।

बहते बन पवन,
धरती और गगन
तन मन ये नयन,
तुम ही विधान में।

रोम-रोम पुलकन
सुख-दु:ख सिहरन
तेरी बनी विरहन
अज्ञानी में ज्ञान में।

मनुआ नाचे मगन
छोड़ के सारे बंधन
मौन में और बयन,
खोना पाना दान में।

सुख या दु:ख गहन,
तेरी राह आगमन।
बाँसुरी करे गुँजन,
शांति या तूफान में॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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