कठिनाई

डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’रायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************* कठिनाई के बाद भी,जो रण लेते जीत।सर्व खुशी उनको मिले,सबके बनते मीत॥ आती-जाती मुश्किलें,करे तुम्हें तैयार।घबराना मत तू कभी,जीत मिले या हार॥ कठिन परिश्रम कर चलें,आए जीवन काम।ध्येय लक्ष्यता को धरें,संचित कर्म तमाम॥ कठिन परीक्षा की घड़ी,देखो आई आज।लड़ने को तैयार हूँ,मुझे स्वयं पर नाज॥ जो करता है सामना,कठिन समय के … Read more

विनय कर भाग्य जगाओ

डॉ. मनोरमा चन्द्रा ‘रमा’रायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************* करूँ ईश गुणगान,विनय कर साँझ सवेरे।कृपा करो श्रीनाथ,द्वार हैं आए तेरे॥करते भक्त पुकार,हृदय में आस जगाएँ।करें कामना पूर्ण,सभी शुभ फल को पाएँ॥ विनय भाव मन धार,कृत्य अनुपम ही करना।राग द्वेष को छोड़,नीर सम निर्मल बहना॥दुनिया माया जाल,मोह में कभी न पड़ना।इसका रूप विशाल,बचे तुम जग में रहना॥ आज करें अरदास,देश की … Read more

नसीब

मनोरमा चन्द्रारायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************* सुख-दु:ख मिले नसीब से,होना नहीं उदास।दृढ़ निश्चय से कर्म कर,मानव जीवन खास॥ किस्मत खेले खेल अति,हुआ बहुत नुकसान।फसलों में ओले पड़े,छीने मुख मुस्कान॥ भाग्य उदय कर लें चलो ,हो जाए कल्याण।सुख समृद्धि सुंदर मिले,मिले जगत में त्राण॥ अपने पैरों पर खड़े,होकर बदल नसीब।प्रगति प्रखरता सब मिले,देंगे मान करीब॥ किस्मत जिनका साथ दे,वही बने … Read more

मंगल प्रभात हो

मनोरमा जोशी ‘मनु’ इंदौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************** प्राची का पथ लीप सहेली,घर-घर में मंगल प्रभात होदीन-दुखी नंगे-भूखों के,खुशहाली मय दिवस रात हो।अरुण थाल रोली भर लाए,आँगन में सबके बिखराएरहे न कोई इस वसुधा पर,हर घूँघट में मुस्कुराहट हो।जन में मंगल घर-घर मंगल,मंगल मय जंगल में मंगलप्राची तुमसे एक अर्चना,अरुणोदय खुशियां लुटाते हो।घर-घर मंगल प्रभात हो,खिल-खिल करती धाम घरा … Read more

रोशन

मनोरमा चन्द्रारायपुर(छत्तीसगढ़)**************************************************** सभी दिशा रोशन रहे,ऐसा करें प्रयास।ज्ञान-दीप का लौ जले,तमस मिटे भव खास॥ मनुज भेद अति भाव से,मुँह लेना नित मोड़।जीवन रोशन से भरे,राग-द्वेष को छोड़॥ रवि प्रकाश फैले धरा,करता जगत अँजोर।वृक्ष-लता कर नव सृजन,होते भाव-विभोर॥ उजला कपड़ा धार कर,मन में रख मत खोट।सूझ-बूझ से कर्म कर,घातक लगे न चोट॥ तमस हृदय से नित … Read more

नारी है नारायणी

मनोरमा जोशी ‘मनु’ इंदौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************** नारी है नारायणी,नारी नर की खाननारी से ही उपजे नर,ध्रव प्रहलाद समान।घर-परिवार का सबका,रखती ध्यान अनन्यगुणों की खान।बंधनों के निबद्धभावनाओं की स्वतंत्र,अभिव्यक्ति हैं नारी।कटीली नागफनी राहों,में गुलाब है नारी।सोच का आँकड़ा बनाना,जटिलताएं विवशताएंसमाज की समस्याएं,रुढ़िवादी परम्पराएंसब निभाती नारी।झरने की मानिन्द शान्त,कितनी पीड़ाएं सहती,है नारी।रिश्तों की परिधि में घिरकरसब-कुछ,सहती है नारी।दुर्गा लक्ष्मी … Read more

शांति का ध्वज फहराएंगे

मनोरमा जोशी ‘मनु’ इंदौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************** विश्व शांति दिवस स्पर्धा विशेष…… हम देश के सच्चे सेवकमानवता का फर्ज निभाएंगेहम विश्व शांति का,ध्वज फहराएंगे। अमन-चैन की पवन चले,चहुँओर खुशियाली छाएगमों के बादल न छाए,खून खराबा हो न पाए।प्रेम की ज्योति जलाएंगें…हम अपना फर्ज निभाएंगें,रहे ना कोई भूखा-प्यासापूरी हो सबकी अभिलाषाकहीं न हो कोई निराशा,जन-जन में जागृति लाएंगें।हम विश्व … Read more

वसुंधरा

मनोरमा चन्द्रारायपुर(छत्तीसगढ़)******************************************************** वसुंधरा को वंदना,आओ कर लें रोज।चाहे हम रहते कहीं,लेगी माता खोजll पंच तत्व में एक है,भूमि तत्व भी जान।मिट्टी से तन है बना,पंचरतन इंसानll भूमि भवन भव भव्य हैं,सबमें माँ को जान।उसकी कृपा असीम है,माँ महिमा पहचानll उन्नत कर कृषि भूमि को,करो उर्वरा दान।फसल उपज हो श्रेष्ठता,मिले अन्न वरदानll वसुंधरा के गोद में,पले … Read more

चैत पवनियां

मनोरमा जोशी ‘मनु’ इंदौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************** चैत पवनियां बहती जाए, लौ बैसाख बुलायो रे ग्रीष्म हाहाकार मचाए, तन-मन तरू झुलसाए। खाली-खाली पोखर नाले, पानी बिन ज्यों खाली प्याले सूखा पन तरसाए, तन-मन तरू झुलसाए। झंझावत झकोरे खाता, लू लपटों में घिर छहराता जन-जीवन पर जाए, तन-मन तरू झुलसाए। बालू कण में नदी समाई, नाव नदी संजोग भुलाई, … Read more

वीरों में वीर महाराणा प्रताप

मनोरमा जोशी ‘मनु’  इंदौर(मध्यप्रदेश)  **************************************************** ‘महाराणा प्रताप और शौर्य’ स्पर्धा विशेष………. वीरों में वीर महाराणा प्रताप, बालपन से स्वाभिमानी थे घास की रोटी खाने वाले, वह योद्धा खुद्धारी थे। बाईस हजार की सेना ने, अस्सी हजार ललकारे थे यूँ चपल वेग से चलते थे, यमराज स्वयं बन जाते थे। जब घोड़े चेतक पर चढ़ते, क्षत-विक्षत … Read more