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चैत पवनियां

मनोरमा जोशी ‘मनु’ 
इंदौर(मध्यप्रदेश) 
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चैत पवनियां बहती जाए,
लौ बैसाख बुलायो रे
ग्रीष्म हाहाकार मचाए,
तन-मन तरू झुलसाए।
खाली-खाली पोखर नाले,
पानी बिन ज्यों खाली प्याले
सूखा पन तरसाए,
तन-मन तरू झुलसाए।
झंझावत झकोरे खाता,
लू लपटों में घिर छहराता
जन-जीवन पर जाए,
तन-मन तरू झुलसाए।
बालू कण में नदी समाई,
नाव नदी संजोग भुलाई,
नम धरती भरमाए,
तन-मन तरु झुलसाए॥

परिचय–श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर जिला स्थित विजय नगर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र-सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक,मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है।कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। एक काव्य संग्रह में आपकी रचना प्रकाशित हुई है।


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