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मंगल प्रभात हो

मनोरमा जोशी ‘मनु’ 
इंदौर(मध्यप्रदेश) 
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प्राची का पथ लीप सहेली,
घर-घर में मंगल प्रभात हो
दीन-दुखी नंगे-भूखों के,
खुशहाली मय दिवस रात हो।
अरुण थाल रोली भर लाए,
आँगन में सबके बिखराए
रहे न कोई इस वसुधा पर,
हर घूँघट में मुस्कुराहट हो।
जन में मंगल घर-घर मंगल,
मंगल मय जंगल में मंगल
प्राची तुमसे एक अर्चना,
अरुणोदय खुशियां लुटाते हो।
घर-घर मंगल प्रभात हो,
खिल-खिल करती धाम घरा हो
अश्व जुते रथ भरा आ रहा,
जन-मन में उल्लास भरा हो।
हर्ष-हर्ष गम को मिटाते हो,
घर-घर में मंगल प्रभात हो॥

परिचय–श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर जिला स्थित विजय नगर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र-सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक,मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है।कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। एक काव्य संग्रह में आपकी रचना प्रकाशित हुई है।

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