मन के घर में ठहरो
मनोरमा जोशी ‘मनु’ इंदौर(मध्यप्रदेश) **************************************************** मन के घर में आकर ठहरो, देखो जग फिर क्या करता है। तूफानों से घिरा समुन्दर, कब तक नाँव किनारे बाँधे पार पहुँचना इसके पहले, जब तक सूरज सीमा फाँदे। तुम किश्ती में बैठो भर ही, देखो तूफां क्या करता है॥ चुभते शूलों का है आँगन, कैसे कोई रास रचाए। … Read more