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मन के घर में ठहरो

मनोरमा जोशी ‘मनु’ 
इंदौर(मध्यप्रदेश) 
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मन के घर में आकर ठहरो,
देखो जग फिर क्या करता है।
तूफानों से घिरा समुन्दर,
कब तक नाँव किनारे बाँधे
पार पहुँचना इसके पहले,
जब तक सूरज सीमा फाँदे।
तुम किश्ती में बैठो भर ही,
देखो तूफां क्या करता है॥

चुभते शूलों का है आँगन,
कैसे कोई रास रचाए।
घणी घटा तम का है शासन,
बोले कैसे खुशी मनाएं।
तुम मेरी बाहें बँध जाओ,
देखो तम फिर क्या करता है।
मन के घर में आकर ठहरो,
देखो जग फिर क्या करता है॥

बुझी नहीं है प्यासी आशा,
फिर भी कल पर साँसें रोके।
जीवन के घटिया पिंजरे से,
पंछी उड़ जाने से रोके।
तुम मुझको अपनों में घोलो,
देखो यम फिर क्या करता है।
मन के घर में आकर ठहरो,
देखो जग फिर क्या करता है…॥

परिचय–श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर जिला स्थित विजय नगर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है। शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत है। कार्यक्षेत्र-सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक,मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है।कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। एक काव्य संग्रह में आपकी रचना प्रकाशित हुई है।

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