मैं औरत हूँ

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  नज़ाकत हूँ तमाज़त हूँ इबादत हूँ मैं औरत हूँ, मुसन्निफ़ रब है जिसका वो इबारत हूँ मैं औरत हूँ। हक़ीक़त हूँ अक़ीदत हूँ मसर्रत हूँ मैं औरत हूँ, मुझे है नाज़ ख़ुद पर मैं वजाहत हूँ मैं औरत हूँ। मिले सौगात में नफ़रत का सहरा चाहे रिश्तों … Read more

अम्न की आरज़ू

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  हर इक हाथ तेग़-ओ-सिपर देखते हैं, हुईं साजिशें कारगर देखते हैं। चमन की फ़ज़ा पुर ख़तर देखते हैं, परिंदे ये कटता शजर देखते हैं। जले फूल गुलशन के नार-ए-हसद में, हैं नफ़रत के शोले जिधर देखते हैं। हुआ लाल अख़बार किसके लहू से, ये हैरत से सब … Read more

फूल गुलशन से बिछड़ के भी किधर जाएगा

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  बागवाँ,गर न तवज्जोह की,मर जाएगा, फूल गुलशन से बिछड़ के भी किधर जाएगा। इस तरह रोज़ बहेगी जो हवा नफ़रत की, ये मुहब्बत का चमन सारा बिखर जाएगा। एक ही किस्म के फूलों से बहार आई कब, यूँ तो बस रंग ख़िज़ाँ का ही उभर जाएगा। जब … Read more

सरस्वती वंदना

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  (रचनाशिल्प:मापनी २१२२ २१२२ २१२) शारदे यश बुद्धि विद्या ज्ञान दे। पर तनिक भी मत हमें अभिमान दे॥ श्री कलाधारा सुनासा वरप्रदा। शारदा ब्राह्मी सुभद्रा श्रीप्रदाll भारती त्रिगुणा शिवा वागीश्वरी। गोमती कांता परा भुवनेश्वरी॥ पुण्य इस भारत धरा पर ध्यान दे। माँ तनिक भी मत हमें अभिमान दे॥ … Read more

सबल हुई बेटियाँ

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  ज़ुल्म सह के भी तो नेह बो रहीं हैं बेटियाँ, ज़िम्मेदारियों का बोझ ढो रहीं हैं बेटियाँ। सबल हुयीं सफ़ल हुयीं मुसीबतों को झेल कर, धीरे-धीरे चल के आगे हो रहीं हैं बेटियाँ॥ परिचय-सुश्री अंजुमन मंसूरी लेखन क्षेत्र में साहित्यिक उपनाम ‘आरज़ू’ से ख्यात हैं। जन्म ३० … Read more

तो ग़ज़ल होती है

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  दिल ये उम्मीद सजाए तो ग़ज़ल होती है, हौंसला टूट न पाए तो ग़ज़ल होती है। मुझसे मिलने जो तू आए तो ग़ज़ल होती है, और फिर लौट न पाए तो ग़ज़ल होती है। ख़ून के रिश्तों से बढ़कर कोई दिल का रिश्ता, उम्रभर साथ निभाए तो … Read more

थर्मस की चाय

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  जब से होश संभाला था,वह सभी गृह कार्य बड़ी निपुणता से करती आयीं थी। बेटी,बहन और बहू बनकर तो बड़ों का ध्यान रखने के सारे फर्ज निभाए ही,किंतु सास बनने पर भी कार्यों से निवृत्ति ना मिली थी उन्हें। नयी बहू की आदत देर तक सोने की … Read more

रोशनी के हमसफ़र

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  हम खजाना छोड़ दें,पर क्या ज़माना छोड़ दें, ज़ुल्म से डर कर कहो क्या हक़ जताना छोड़ दें। कोई हक़ मांगे ही क्यों जो फर्ज़ सब कर लें अदा, हक़ से मज़लूमों के हक़ पे हक़ जमाना छोड़ दें। इन चराग़ों से हसद की आग भड़केगी नहीं, … Read more

आख़िर किस लिए

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  हो गया नाकाम आख़िर किस लिए, अम्न का पैग़ाम आख़िर किस लिए। क्या यही है सच बयानी का सिला, उफ़! ये क़त्लेआम आख़िर किस लिए। ख़ौफ़ से तेरे न सच बोला कोई, फ़िर मचा कोहराम आख़िर किस लिए। दल बदल कर दल सभी दल-दल हुए, वोट दे … Read more

मुनासिब है

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’ छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) ********************************************************************  साहिल की अहमियत को मझधार मुनासिब है, मझधार में हिम्मत की पतवार मुनासिब है। ख़ुशबू के लिए मसला जाता हो अगर गुल को, गुल के लिए गुलशन में ये ख़ार मुनासिब है। है सब्र बड़ी नेमत तस्लीम मुझे लेकिन, गर आन पे बन आए हुंकार मुनासिब है। … Read more