धरती माँ की करुण कहानी

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’  इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) ************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष……… धरती माँ की करुण कहानी, ग्लोबल वार्मिंग तुम्हें बतानी। रोज काटते पेड़ अनेक, क्षरित हो रहे पर्वत देखो अतिवृष्टि और अनावृष्टि से, असंतुलित है जग का पानी। धरती माँ की करुण कहानी…॥ जनसंख्या विस्फोट हुआ है, नदियों का जल मलिन हुआ है कार्बन … Read more

पृथ्वी दिवस

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष…………… जरूरत आन पड़ी पृथ्वी पर पृथ्वी दिवस मनाने की अपनी धरती के संरक्षण हेतु देखो अलख जगाने की, जूलियन कॉर्निंग नहीं पहले पृथ्वी दिवस का नाम दिया २२ अप्रैल जन्म दिवस को पृथ्वी दिवस सम्मान दिया, १ सप्ताह चले यह मेला पर्यावरण सुरक्षा को … Read more

चलो….अब भूल जाते हैं

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** जीवन के पल जो काँटों से चुभते हों, जो अज्ञान अँधेरा बन मन में अँधियारा भरता हो, पल-पल चुभते काँटों के जख़्मों पे मरहम लगाते हैं, मन के अँधियारे को ज्ञान की रोशनी बिखेर भगाते हैं, चलो! सब शिकवे-गिले मिटाते हैं चलो…. सब भूल जाते हैं…ll अपनों के दिए कड़वे … Read more

नया दल

रश्मि लता मिश्रा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ****************************************************************** चुनाव,चुनाव,चुनाव का मचा सब ओर शोर है, रैलियों की भरमार भाषण का जोर है। दल-बदल के समीकरण, बदल रहे जोरों से स्वार्थ संलगता पहुँची, विश्वास के घेरों में। जब सालों-साल रहकर, साथ पल में छूट जाए ऐसे संबंधों पर ये भरोसा जताते हैं, बात कुर्सी की हो तो गधे … Read more

आजा मैया मेरे द्वार

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** मन मेरा माँ रहा पुकार, आजा मैया मेरे द्वार। दुर्भावों का कर संहार, भर दे मैैैया ज्ञान अपारll अँखियाँ तुझको रहीं निहार, चाहूँ दर्शन बारम्बारl मुझ पर कर मैया उपकार, सदा करूँ तेरा सत्कारll कभी न छूटे तेरी आस, तुझमें अटल रहे विश्वास। मन मेरा तेरा आवास, बस तेरी ममता … Read more

आज का मानव

शशांक मिश्र ‘भारती’ शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ************************************************************************************ आज का मानव अपने स्वार्थों में इतना फंस चुका है, अपना करके हिंसा आगे बढ़ रहा हैl दिखता नहीं कुछ निःशेष है अपनी इच्छाओं की पूर्ति, रहें स्थिर संतुलन प्राणी जगत अथवा मानवीय संस्कृति का, उसको चाहिए मात्र अपनी इच्छाओं की पूर्ति। जिसके लिए उसने अपने इष्ट मित्रों बन्धु-बान्धवों तक … Read more

इस शहर में

सोनू कुमार मिश्रा दरभंगा (बिहार) ************************************************************************* रैन में छाया घनघोर अंधेरा,प्रभात लेकर आया कुहासा, दर्द से तड़पते,करवटें बदलते,मन में लिए विकट निराशा छीन हो चुकी थी,दीन हो चुकी थी उसके जीवन की आशा, कहर को झेलते,सफर को देखते,थी चलने की प्रत्याशा। सड़क के किनारे,कराहते-चिल्लाते,तम की तमतमाहट में, सुधाकर,दिवाकर के द्वारा दी गई तपन की कड़वाहट … Read more

सौतेली

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** चाय की ट्रे लेकर जाती हुई उर्मिला के पाँव एकाएक जहाँ थे,वहीं ठिठक गए,जब उसके कानों में पड़ोस की प्रभावती ताई की आवाज पड़ी,जो उसकी माँ से कह रही थीं,-“अरे नंदा कब तक घर में बैठाकर रखेगी जवान विधवा बेटी को ? अभी तो उसकी पूरी जिंदगी पड़ी है सामने। … Read more

कैसे घुमा देते हैं राजनेता कैमरे को अपनी ओर

शशांक मिश्र ‘भारती’ शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ************************************************************************************ यह शीर्षक कुछ अलग लग रहा होगा, पर बात ही कुछ ऐसी है। जी हाँ,जब हमारे देश में कोई बड़ा राजनेता जेल जाने को होता है या किसी अपराध या मामले में पूछताछ होने को होती है,तो अपने को इस तरह से पेश करता है,जैसे किसी बड़ी लड़ाई के लिए … Read more

फागुन आया

मालती मिश्रा ‘मयंती’ दिल्ली ******************************************************************** हवाओं की नरमी जब मन को गुदगुदाने लगे नई-नई कोपलें जब डालियाँ सजाने लगें, खुशनुमा माहौल लगे,मन में उठें तरंग तब समझो फागुन आया,लेकर खुशियों के रंग। खिलते टेसू पलाश मन झूमे हो के मगन पैर थिरकने लगे नाचे मन छनन-छनन, बैर-भाव भूलकर खेलें जब सभी संग तब समझो फागुन … Read more