प्रकृति रचे श्रृंगार

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) *************************************** मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष…. भिन्न-भिन्न मौसम यहाँ,नाना ऋतु प्रदेश।सर्द गर्म बरसात है,नाना भाषा वेशll तिल के लड्डू रेवड़ी,चूरा बाटी दाल।खाकर ख़ुशी मनाइए,करिये सभी धमालll ऋतुओं के अनुरूप ही,प्रकृति रचे श्रृंगार।गर्मी में लगने लगे,धरती भी अंगारll पीली सरसों से लगे,आया है ऋतुराज।कोयल मीठे बोल से,करती है आगाजll ऋतु परिवर्तन दौर है,मिलता है … Read more

नारी

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* नारी जग का सार है,नारी ही आधार। बिन नारी सब सून है,ममता काआगार॥ ममता का आगार,रहे वह सब पर भारी। पावन है हर रूपशक्ति स्वरूपा नारी॥ नारी हृदय विशाल है,ईश्वर का है रूप। देती सबको प्यार है,उसकी शक्तिअनूप॥ उसकी शक्तिअनूप,वह रखती है खुशहाल। उसके रूप अनंत,है हर इक रूप विशाल॥ … Read more

मिलकर धरा बचाएं

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* आओ मिलकर धरा बचाएं, वरना सब मिट जाएगा। दोहन प्रकृति का बंद करें, कुछ भी बच ना पायेगा॥ सब मिल करके वृक्ष लगाएं, हरी-भरी हो जाये धरा। प्रकृति का संतुलन बना रहे, जीवन भी हो जाय खरा॥ कार्बन उत्सर्जन कम कर दे, ओजोन परत बच जाए। जल की है हर … Read more

रत्न चतुर्दश

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* (रचना शिल्प:मापनी मुक्त सम मात्रिक छंद है यह। १६,९ मात्रा पर यति अनिवार्य चरणांत २१२, २ चरण सम तुकांत,४ चरण का छंद) मंदराचल को बना मथनी,रस्सी शेष को। देवदनुज सबने मिल करके,मथा नदीश कोll किया अथक प्रयास सभी ने,रहे वहां डटे। कर लिया प्राप्त मधुरामृत जब,सभी तभी हटेll रत्न चतुर्दश … Read more

चंद्रघंटा

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* चंद्रघंटा देवी माता सौम्य शांत रूप भाता अलौकिक स्वरूप है श्रद्धा से मनाइए॥ सिंह की सवारी करे हाथों में शस्त्रास्त्र धारे सिर अर्द्धचंद्र घंट स्वरूप निहारिए॥ स्वर्णिम रूप है प्यारा सारी दुनिया से न्यारा वरदान देती है माँ ज्योत को जलाइए॥ भक्तों को निर्भय करे दुष्टों का संहार करे करे … Read more

ब्रह्मचारिणी

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* ब्रह्मचारिणी देवी माँ, नवदुर्गा रूप है माँ भक्तों को वर देती माँ, भक्ति हमे दीजिये॥ जप माला दाएं हाथ, कमंडल बाएं हाथ करती है घोर तप, दर्शन तो दीजिये॥ माँ दुर्गा का दूजा रूप, साधारण है स्वरूप लगता है तेज पुंज, शक्ति हमें दीजिये॥ करे जो ध्यान इनका, होता उद्धार … Read more

‘हिंदी’ करे हिन्द का कल्याण

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* अपनी है मातृभाषा भारत की राष्ट्रभाषा, हिंदी है सबको प्यारी इसे अपनाइए॥ हिन्द की है शान यह वतन का मान यह, हमें इसपे गर्व है प्रयोग में लाइये॥ करे हिन्द का कल्याण रखे सबका ये ध्यान, अभिमान हमारा है इसे ना भुलाइये॥ मिली हमें ये सौगात संस्कृत इसकी मात, मस्तक … Read more

शिक्षक राष्ट्र निर्माता

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* शिक्षक दिवस विशेष………….. शिक्षक होता भाग्य विधाता, वही राष्ट्र निर्माता है। अन्धतमस में ज्योतिकिरण भी, वही हमें दिखलाता हैll जीवन को देता नई दिशा, राह हमें दिखलाता है। मन से वह अज्ञान मिटाकर, ज्ञान रश्मि फैलाता हैll गुरू बिना कोई ज्ञान नहीं, जीवन सफल न हो पाता। चाणक्य न होते … Read more

संकटमोचक गणपति

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* सिद्धिविनायक उमासुत,हे भूपति विघ्नेश। विघ्नविनाशक गदाधर,सबके काटो क्लेश॥ वक्रतुण्ड हे चतुर्भुज,भुवनपती अवनीश। मूषकवाहन गजानन,देवे सिद्धि कवीश॥ बुद्धिप्रिय हे महेश्वर,यशस्कर यज्ञकाय। विश्वराज हे विश्वमुख,मोदक तुमको भाय॥ मंगलमूर्ति देवव्रत,महाबली गजराज। सिद्धिदाता प्रथमेश्वर,बुद्धिमान सरताज॥ प्रथमपूज्य महागणपति,लंबोदर गणराज। एकदंत हे गौरिसुत,सकल सँवारो काज॥ संकटमोचक हे अमित,मृत्युंजय ओंकार। रुद्रप्रिय हे विश्वमुख,पूजे सब संसार॥ बुद्धिविधाता विघ्नहर,क्षेमंकरी … Read more

हे कृष्ण पुनः अवतार धरो

डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. जग से अधर्म मिटाने को, दुनिया को धर्म सिखाने को अज्ञान का तम हरने को, ज्ञान प्रसारण करने को अब पाञ्चजन्य उदघोष करो, हे कृष्ण पुनःअवतार धरो। शासक को नृप नीति सिखाने, अबला नारी की लाज बचाने शांति और सदभाव बढ़ाने, मानवता का पाठ पढ़ाने फिर … Read more