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चंद्रघंटा

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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चंद्रघंटा देवी माता
सौम्य शांत रूप भाता
अलौकिक स्वरूप है
श्रद्धा से मनाइए॥

सिंह की सवारी करे
हाथों में शस्त्रास्त्र धारे
सिर अर्द्धचंद्र घंट
स्वरूप निहारिए॥

स्वर्णिम रूप है प्यारा
सारी दुनिया से न्यारा
वरदान देती है माँ
ज्योत को जलाइए॥

भक्तों को निर्भय करे
दुष्टों का संहार करे
करे माँ दु:ख भंजन
भक्ति अपनाइए॥

दस हाथ शस्त्र धारे
असुरों को सदा मारे
रूप अनोखा जिनका
माता को मनाइए॥

ज्योत जले जगमग
माता मिले पगपग
मिलकर करे पूजा
मन को लगाइये॥

मात चंद्रघंटा मिले
जीवन खुशी से चले
नवदुर्गा का रूप है
श्रद्धा को जगाइए॥

शिवशंकर भामिनी
भुक्ति व मुक्तिदायिनी
देती अभयदान जो
साधना से पाइए॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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