जब भी कविता लिखने बैठूँ
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* जब भी कविता लिखने बैठूँ,लिख जाता है नाम तुम्हारा।खुल जाते हैं छन्द बंध भी,नव शब्दों का बने सहाराll दिल से दिल का बंधन है ये,लगता है हमको ये प्यारा।दिल ऊर्जा से भर जाता है,होय सुवासित तन मन साराll मन के भाव निकलते बाहर,खुश होता ये दिल बेचारा।जब भी कविता लिखने बैठूँ,लिख … Read more