जब भी कविता लिखने बैठूँ

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* जब भी कविता लिखने बैठूँ,लिख जाता है नाम तुम्हारा।खुल जाते हैं छन्द बंध भी,नव शब्दों का बने सहाराll दिल से दिल का बंधन है ये,लगता है हमको ये प्यारा।दिल ऊर्जा से भर जाता है,होय सुवासित तन मन साराll मन के भाव निकलते बाहर,खुश होता ये दिल बेचारा।जब भी कविता लिखने बैठूँ,लिख … Read more

दीप और पतंगा

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* दीपक जलकर करे उजाला,पतंगा यूँ ही मरता है।जलते हैं दोनों ही लेकिन,ये क्रम न कभी रुकता है॥ दीपक और पतंगे का ये,साथ सदा चलता आया।खत्म हुए दोनों ही लेकिन,जलना कभी न रुक पाया॥ कोशिश करता नित्य पतंगा,जलता दीप बुझाने की।फिर भी दीपक जलता रहता,इच्छा नहीं जलाने की॥ अहंकार के कारण ही … Read more

दीवाली के दीप से

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष….. दीवाली के दीप से,मिट जाय अंधियार।दु:ख दर्दों का नाश हो,जगमग हो संसार॥जगमग हो संसार,रहे न कोई भी दुखी।तनमन हो उल्लास,होय सभी जग में सुखी॥कहता कवि करजोरि,जगत में हो खुशहाली।घर-घर दीप जलाय,मने सबकी दीवाली॥ काली रात अमावसी,दीप जले चहुँओर।दीपोत्सव उल्लास से,मिटे तमस घनघोर॥मिटे तमस घनघोर,सकल जग में उजियारा।हो … Read more

चाँद सभी का

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ******************************************************** शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष….. पूनम के चाँद की चन्द्रिका,दुग्ध सी धवल होती है।बरसाती अमृत धरा पर ये,तन व मन को भिगोती है॥ षोडश कलाओं से संपूर्ण,चांद ज्योति फैलाता है।शरद की पूनम की रात्रि में,रोग सारे हटाता है॥ खूबसूरत लगता है गगन,टिमटिम करते तारों से।पिघलती चाँदनी भी जैसे,लड़ती है अँधियारों से॥ शरद … Read more

संघर्ष

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ******************************************************* जीवन में संघर्ष से,कभी न मानो हार।लड़ो लड़ाई अंत तक,निकलोगे तुम पारllनिकलोगे तुम पार,रखो हौंसला ही सदा।हिम्मत से लो काम,धीर जनों की है अदाllकहता कवि करजोरि,यही मानव संजीवन।गीता का है ज्ञान,कर्म करना ही जीवनll शिक्षा देते हैं हमें,जीवन में संघर्ष।जीवन का पर्याय है,सदा रहे मन हर्षllसदा रहे मन हर्ष,सभी हो खुश … Read more

बापू से सीखो सभी

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ******************************************************* महात्मा गांधी जयन्ती विशेष….. बापू से सीखो सभी,सत्य-अहिंसा सार।जीवनभर करते रहे,सबसे सद्व्यवहारll सादा जीवन रहा सदा,सुख-सुविधा से दूर।रखते उच्च विचार थे,किया न कभी गुरूरll गांधी एक विचार है,सबकी करे सहाय।प्रासंगिक है आज भी,सबके मन को भायll आजादी थी खून में,थी दृढ़ इच्छा शक्ति।रग-रग में जिनके भरी,मातृभूमि की भक्तिll जन्मा पावन भूमि … Read more

हिन्दी प्यारी है हमें

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ******************************************************* हिंदी प्यारी है हमें,यही हिन्द की शान।हमको इस पर गर्व है,यह भारत का मान॥ स्वभाषा अपनाकर हम,करें हिन्द सम्मान।हिंदी भाषा हिन्द की,बढ़ा रही है शान॥ आजादी के यज्ञ में,हिंदी का है योग।निज भाषा से उन्नती,परभाषा है रोग॥ निज भाषा अपनाइये,रखो उसी का ध्यान।हमको इस पर गर्व है,मातृभूमि कीआन॥ गर्व करो निजभाष … Read more

मात है धरा यही

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) **************************************************** (रचना शिल्प:समवार्णिक छंद है-प्रत्येक चरण में ७ वर्ण;क्रम १ रगण +१ जगण + १ गुरु। २१ २१ २१ २,२१ २१ २१ २) पावनी धरा सहे,मानवी विकार को।स्वारथी सभी बने,भूल के दुलार को॥ मात है धरा यही,पालती सदैव ही।आरती करें सभी,भूमि भू धरा मही॥ अन्न वित्त धारती,सृष्टि का भला करे॥प्यार और नेह … Read more

मैं शिक्षक ज्ञानप्रसारक हूँ

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) **************************************************** शिक्षक दिवस विशेष……….. सदा मिटाता अंधतमस को,ज्ञान की ज्योति जलाता हूँ।देता हूँ संस्कार सभी को,मैं राह नई दिखलाता हूँ।सरस्वती का आराधक हूँ,मैं शिक्षक ज्ञानप्रसारक हूँll ज्ञान और विनम्रता से ही,सम्मान जगत में पाता हूँ।अज्ञानी और निरक्षर को,मैं अक्षर ज्ञान कराता हूँ।मैं एक आत्मविचारक हूँ,मैं शिक्षक ज्ञानप्रसारक हूँll कर्त्तव्य मार्ग दिखलाने को,मैं … Read more

धरती हमारी मात है

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ****************************************************************** धरती हमारी मात है,इसको न दूषित कीजिए।यह पालती हर जीव को,इसको सदा सब पूजिएll हम स्वारथी बनके कभी,इसको अपावन ना करें।सब स्वच्छ धरती को रखें,कुदरत के कहर से डरेंll यह पावनी धरती सदा,धन-धान्य से परिपूर्ण हो।नदियाँ सदा बहती रहे,फल-फूल से तरु पूर्ण होll सहती सदा हमको धरा,उपकार इसका मानिए।यह दान ही … Read more