उनका गौरवगान करें

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** आओ हम मिलकर उनका गौरवगान करें, हम सब उन वीर जवानों का जयगान करें। जिनकी सुरक्षा से गा रहे हैं हम नवगीत, जिनके समक्ष हो जाते शत्रु सब भयभीत। देश में विकसित हो रहा शांति का उपवन, आओ हम सब उन पर अभिमान करें। आओ हम मिलकर उनका गौरवगान करें॥ रक्त … Read more

अब हर भारतवासी समान

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** कश्मीर की कलियां खिलने लगेंगी, वो अब अपने-आपसे मिलने लगेंगी। अम्बर का भी मन नहीं अब दुखी होगा, वहां का जीव-जगत अब सुखी होगा। न अब हमारे तिरंगे का अपमान होगा, अब हर भारतवासी समान होगा। न अब वहां राष्ट्रवाद के झगड़े होंगे, सब समान कमजोर और तगड़े होंगे। अब एक … Read more

सावन कितना पावन

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** ये महीना वर्ष का कितना पावन है, कहते इसी को हम सब सावन है। हरियाली यहां झूम के खिलखिलाती है, बूंदें ओस के मोती जैसी झिलमिलाती हैं। धरा ओढ़ रही अब हरियाली की चादर, कर रहीं सब बहारें सावन का आदर। अम्बर से बरस रही है मेघों की फुहार, गा रहीं … Read more

मैं मजदूर हूँ

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** मैं इस देश का मेहनती मजदूर हूँ, मैं कभी पास अपने,कभी दूर हूँ। हर इमारत की बुनियाद रखता हूँ मैं, फिर भी कुछ कहते हैं मैं मजबूर हूँ॥ मैं प्रगति की इमारत की बुनियाद हूँ, मैं हर मेहनत के सागर की फरियाद हूँ। अपने खून-पसीने से सींचता हूँ मैं इसे, फिर … Read more

वन्दना

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** हमें प्रगति के नये-नये मार्ग दिखाना, न विचलें हम,हमें चलना सिखाना। मानवता न रोए बिलख कर कभी, हे सरस्वती माँ हमको हमीं से मिलाना॥ जीवन के उपवन में न भँवरों का घात हो, न कभी समाज में अंधविश्वास की बात हो। सदैव सुरक्षित रहें मानवता के नीड़ यहां, न हो दु:ख … Read more

दुःखी किसान

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** इस भयंकर वर्षा ने पकी फसल को सुला दिया, उस गरीब किसान को इसने मार के रुला दिया। जो अपना कर्म समझ के पी रहा चोटों का दर्द, आज उस अन्नदाता को ईश्वर ने भी भुला दिया॥ वर्षा के कितने रुप,कभी अमृत तो कभी जहर, लेकर आई यह विनाशी अंधकार,मचाया है … Read more

मेघा बरसे रे…

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** मेघा बरसे रे,जन सब हरसे रे, धरा पर बरसे मेघा रसधार। चले ठंडी बूंदों की फुहार, वसुधा पहने हरियाली का हार। बहारें गा रहीं गीत मल्हार, फिर तू क्यों तरसे रे। मेघा बरसे रे जन सब हरसे रे॥ झम-झम झम-झम बजे संगीत, दादुर भी गा रहे मिलकर गीत। दिखी है अब … Read more

साँस है हिन्दी

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’ मोहाली(पंजाब) **************************************************************************** हिन्दी धड़कन है साँस है हिन्दी, हिंदी तड़पन है अहसास है हिंदी। हिंदी माँ है हमारी और संस्कृति, जिसने पाला हमें,वह खास है हिंदी॥ भारतीय संस्कृति का निवास है हिंदी, परिधानों में भारतीयों का लिबास है हिंदी। हिंदुस्तानी भाषाई सुगंध फैल रही चारों ओर, हम सबमें अपनेपन का अहसास है हिंदी॥ … Read more