कुल पृष्ठ दर्शन : 422

You are currently viewing दुःखी किसान

दुःखी किसान

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)

****************************************************************************

इस भयंकर वर्षा ने पकी फसल को सुला दिया,
उस गरीब किसान को इसने मार के रुला दिया।
जो अपना कर्म समझ के पी रहा चोटों का दर्द,
आज उस अन्नदाता को ईश्वर ने भी भुला दिया॥

वर्षा के कितने रुप,कभी अमृत तो कभी जहर,
लेकर आई यह विनाशी अंधकार,मचाया है कहर।
पाला था इसने अपने खून-पसीने से अन्न को,
बरसात ने उजाड़ा है उसके सपनों का शहर॥

भरने पेट संसार का,खाए उसने आलू भून के,
कितनी करुणा कितने आँसू पिए उसने खून के।
सींचता रहा वह संसार को अपने हड्डी शरीर से,
फिर फाँसी पर झूल रहा अपनी किस्मत ढूंढ के॥

निरन्तर पतझड़ में डूब रहा,जो था पहले सुंदर,
अब नेता आए हैं लाभ उठाने बनकर छछूंदर।
जिसका ऋणी है संसार उसका ऋण उतारेंगे ये,
देख इनकी हरकतों को रो रहा अम्बर और समुंदर॥

इस धरा के देवता की हालत कब सुधरेगी हे भोले,
इस अन्नदाता के जीवन में बरस रहे हैं भीषण शोले।
खुद भूखा सोकर मिटाता संसार की भूख यह देवता,
तब मन और दुखी हो जाता है जब गिरते हैं ओले॥

आंधी तूफान वर्षा से बचाकर अनाज,भर रहा संसार का पेट,
कहे ‘प्रेमशंकर’ मानव तो मानव,प्रकृति भी कर रही उसका आखेट॥

परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’

Leave a Reply