अब पूरा आसमां मेरा है
डॉ. रचना पांडेभिलाई(छत्तीसगढ़)*********************************************** जिस घर में मेरी किलकारियां गूंजती थी,जिस छत के नीचे मैं खेली-बड़ी हुईउसी आँगगन की यादें मुझमें बसती हैकमरे के कोने में शीशा-बिंदी अभी भी सजी हुई हैं। अग्नि के सात फेरे से बिछड़ गई मैं,बाबा जबसे तुमसे विदा हुई हूँतुम्हारी यादों के सहारे जिंदा हूँ,आज भी मैं अपनी चमक तुम्हारी आँखों … Read more