तुम्हारे हृदय से

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** अपना सुर तुमसे मिलाकर गीत बनाया शब्द सजाकर, गूंज उठे उपवन गुलशन होंठों पर इक लय गुनगुनाकर। अपना… सुगंध से महक गई बगिया फूलों पर आ गई तितलियां, लेने लगी वो भी अंगड़ाईयां दूर हुई सबकी तन्हाईयां। अपना सुर… जबसे तुम्हारा सहारा हुआ हर पल समझो हमारा हुआ, दिल के अंदर … Read more

दर्द

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** बात बहुत छोटी रहती है पर दिल समझ ना पाए, उनकी बातों से मेरी आज आँखों में आँसू उतर आए, जैसे शाम को भूला कोई… घर भटकते पास आ जाये। कैसा रिश्ता होता है ये क्यूँ भरोसा करके उन पर, चोट बहुत वो पहुंचाता है कितना समय निकल गया, फिर वही … Read more

हमारे पिता

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** प्यार और दुलार, सुंदर मीठी बयार ऐसा पिता का प्यार, कैसे करूं उनका गुणगान…। अपनी इच्छाओं को, देकर कुर्बानी हमारी जिंदगी कर दी सुहानी, घर की वो है मजबूत छत होंठों पर रखते मुस्कान। कैसे करूं उनका… हर दर्द की दवा रहे, परिस्थितियों से लड़ते रहे हमको भी समझाते रहे, सही … Read more

हरे-भरे पेड़

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** बैठे-बैठे मन कहीं खो गया, कड़ी धूप में आज रो दिया… दूर दूर तक हाय पेड़ नहीं, ना हवा ठंडी है,ना छाया कहीं। रूक जाओ अब भी ऐ मानव, पेड़ काटकर बनो ना दानव… क्यूं ये अपराध हो रहा, जघन बढ़ा पाप हो रहा… पेड़ों से ही साँसें अपनी। आओ हम … Read more

खेल-खेल में

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** बच्चों की गर्मी की छुट्टियां और उनकी मस्तियां,हमारे घर के सामने बहुत बड़ा खुला मैदान है।बच्चे वहीं मिलकर क्रिकेट खेलते हैं। अभी राजू निकला ही था कि,पीछे से आया-“माँ मुझे पैसे दो।” मैंने उसे जोर से डांट दिया। “क्या रोज-रोज पैसे ले जाते हो। फिर से गेंद खराब हो गई ? … Read more

उन गलियों तक…

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** जिंदगी का सफर गलियों के बिना अधूरा-सा रहता है, हमारे बचपन के दिनों से लेकर आज इस उम्र तक उन गलियों तक… कहीं भी जाएं,कहीं रहे इक सपना पलता है, वापस आकर मन की गलियों में ठहरने लगता है, ये हमारे अकेलेपन के अपने साथी हैं, जो मन को बहुत सुकून … Read more

मन तरंग

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** मन तंरग यूँ खोने लगा, क्यों तुम्हें ढूंढने लगा आँखों में ना नींद है, ना नीद में आँखें कुछ नये सपने बुनने लगा। मन तरंग… बिखरी साँसें बिखरी जुल्फें, क्यों मन मेरा उलझने लगा हर पल राहों में तेरा चेहरा, मुझे दिखने लगा। मन तरंग… कह रही है सारी फिजाएं, कहां … Read more

प्यार भरा खत

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** प्यार भरा तेरा, खत जो मिला झूम उठी रे सजन, बादल के आने से, जैसे नाचें मोर मगन। ओरे सजन… ओरे सजन… तेरे ख़त का है ये असर… प्यार भरा… खत में जो तुमने, लिखी प्यारी बातें सोच-सोच मैं शरमाऊं, तुम जानो या मैं जानूं कैसे सबको बतलाऊं, झुम रही है … Read more

हमको गढ़ती है माँ

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** मातृ दिवस स्पर्धा विशेष………… ना शब्द है ना कोई बात जो माँ के लिए लिख पाऊं, उसके चरणों में मैं नित-नित शीश झुकाऊं, जग जननी है माँ हमारी भाग्य विधाता माँ। गीली माटी की तरह वो हमको गढ़ती है, संस्कार की रौशनी वो हममें भरती है, कौन करेगा ये सब माँ … Read more

अंधेरा क्यूँ है

पूनम दुबे सरगुजा(छत्तीसगढ़)  ****************************************************************************** किया है रौशनी फिर भी,अंधेरा क्यूँ है। घिरा है मन उदासियों से,परेशां क्यूँ है। किया है… जो गुज़र गया है,उसे भूलाने की आदत है, फिर भी सुबह का,सबेरा सोया क्यूँ है। किया है रौशनी… आँखों के आंसू,कभी सूखे ही नहीं, फिर इतना गहरा कोहरा क्यूँ है। किया है रौशनी… सब कुछ … Read more