नित अश्क बन नवगीत स्वर हूँ
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’ बेंगलुरु (कर्नाटक) **************************************************************************** अल्फ़ाज बनकर हर खुशी अवसाद का आभास हूँ मैं, अश्क हूँ या नीर समझ स्नेह का अहसास हूँ मैं। विरह हो या प्रिय मिलन, हो सफल या अनुत्तीर्ण क्षण माता-पिता अवसान हो, या अंत हो कोई आप्तजन छलकता नित अम्बु बन, चक्षु विरत बस कपोल पर अबाध,अविरल,निष्पंद, प्रश्न … Read more