कुल पृष्ठ दर्शन : 447

You are currently viewing कलम की दु:खभरी दास्तां

कलम की दु:खभरी दास्तां

डॉ.रामावतार रैबारी मकवाना ‘आज़ाद पंछी’ 
भरतपुर(राजस्थान)
************************************************************************************************

सोच रही है पागल कलम,कैसी दुनिया आई है,
लाज-शर्म के शब्द भूलकर,बे-शब्दों की झड़ी लगाई है
पड़ी तमाशा देख रही हूँ,ऐसी धाक जमाई है,
लुप्त हो रही मैं तो मेरे घर में,मुझ पर ऐसी शामत आई हैl
सोच रही…

मेरे कारण तू इंसान बना,फिर महान बना,
इस भरी सभा में,आज तेरा सम्मान बना
दे दी तुझको वो सौगातें,तू एक अलग पहचान बना,
पर भूल रहा है मुझको तू तो,कुछ मेरा अहसान मना
तेरे अंधकार के जीवन में,मैंने ज्ञान की ज्योत जलाई हैl
सोच रही…

बूंद-बूंद कतरा-कतरा मैंने तुम पर सब कुछ न्यौछावर कर डाला है,
दिन-रात चली फिर रात जगी,जग-जगकर अपना रंग काला कर डाला है
करी मोहब्बत मैंने तुमसे इतनी कि,तुमको अपने ही रंग में रंग डाला है,
तू भूल रहा है मुझको प्यारे,तुझ पर ऐसी क्या विपदा आई हैl
सोच रही…

मैंने तुमको महान बनाया,
इस दुनिया का सबसे सुंदर इंसान बनाया
आज मंच पर तुम्हें बिठाया,
मेरा ही तुमने आज भरी सभा सम्मान घटाया
वेद,पुराण,शास्त्र,और गीता,कम्प्यूटर से लिखवाई हैl
सोच रही…

जग का मैंने सार लिखा,मैंने ही इतिहास लिखा,
गीता जैसा ग्रन्थ लिखा,भारत का संविधान लिखा
तेरे जीवन का प्रकाश लिखा,दो नैनों का प्यार लिखा,
तेरी किस्मत का भाग्य लिखा,बे-किस्मत का मैंने लेख लिखा
तेरे जन्म-मरण का द्वार लिखा,तेरे अंत काल का समय लिखा,
तेरा आज-कल का काम लिखा,तेरे पल-पल का हिसाब लिखा
तेरे सुर का मैंने राग लिखा,तेरे मन का मैंने तार लिखा,
तेरी कला का कलाकार लिखा,तेरी रचना का मैंने शार लिखा
दुनिया में मैंने ताज लिखा,ताजों को बे-ताज लिखा,
लालों को मैंने लाल लिखा,वीरों का बलिदान लिखा
त्रेता में मैंने राम लिखा,तो द्वापर में घनश्याम लिखा,
कलयुग में रैदास लिखा,तो अब का बाबा रामदेव लिखा
रंगों को मैंने रंग लिखा,वे-रंगों को बे-रंग लिखा,
नारी का सम्मान लिखा,तो नर का मैंने ईमान लिखा
तेरी सुंदरता का राज लिखा,बे-सुंदरता का राज ढका,
गुणवानों का गुणगान लिखा,बेईमानों को बेईमान लिखा
जल का मैंने परिताप लिखा,तो अग्नि का स्वरूप लिखा,
अन्यायी का अन्याय लिखा,तो मैंने न्यायी का न्याय लिखा
जब बच्चों की किलकारी लिखी,तो माँ का सच्चा प्यार लिखा,
गुरुजन का आदर लिखा,तो दुर्जन का विनाश लिखा
धनवानों को धनवान लिखा,तो मैंने अतिथि का सम्मान लिखा,
गरीब का उपवास लिखा,तो बेबस को लाचार लिखा
आज़ादी का इतिहास लिखा,तो वीरों में वीर आज़ाद लिखा,
भगतसिंह-सा यार लिखा,तो गाँधी जैसा अवतार लिखा
बच्चन जी का काव्य पाठ लिखा,तो मुंशी जी का लेख लिखा,
मीरा की मैंने प्रीत लिखी,तो राधा का मैंने प्यार लिखा
लिखने को तो मैंने तन-मन-धन लिखा,तेरे मन का हर दर्पण लिखा,
मैंने युग-युग का अवतार लिखा,तेरे जीवन का हर शार लिखा
रहती थी रंग-रंगीली,पर मेरी खुशियों को जाने किसने नज़र लगाई हैl
सोच रही…

तुम भूल रहे हो मुझ माता को,मेरा नाम छुपाते हो,
छोड़-छुड़ाकर मेरी ऊँगली,मोबाइल पकड़ाते हो
क़लम छुड़ाकर बच्चे से तुम,कम्प्यूटर चलवाते हो,
मैंने तुमको नाम दिया,तुम मुझसे ही कतराते हो
पूछ रही हूँ तुमसे बेटा,कि मुझ माता में ऐसी क्या बुराई है ?
सोच रही…

दोहा-
आने वाले कल को क्या मुँह दिखलाओगे।
जब बच्चे मांगेंगे,क़लम कहाँ से लाओगेll

परिचय-डॉ.रामावतार रैबारी मकवाना की जन्म तारीख-२० अप्रैल १९८४ एवं जन्म स्थान -नावली है। साहित्यिक उपनाम ‘आज़ाद पंछी’ से पहचाने जाने वाले डॉ.मकवाना वर्तमान में राजस्थान स्थित गाँव-नावली जिला-भरतपुर में स्थाई निवासी हैं। आप हिन्दी और राजस्थानी भाषा का ज्ञान रखते हैं। बी.ए. एवं बी.एस-सी. (नर्सिंग) तक शिक्षित होकर बतौर चिकित्सक स्वयं का दवाखाना संचालित करते हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत समाजसेवा में सक्रिय हैं। लेखन विधा-कविता,कहानी व ग़ज़ल है। प्रकाशन में-शुभारम्भ(साँझा काव्य संग्रह) आपके नाम है। आपको साहित्य क्षेत्र में श्री नर्मदा साहित्य सम्मान और भारत गौरव रत्न सम्मान मिला है। लेखनी का उद्देश्य-समाज को जागृत करना है। मुंशी प्रेमचंद एवं हरिवंशराय बच्चन को पसंदीदा लेखक मानने वाले ‘आजाद पंछी’ के लिए अटल बिहारी वाजपेयी प्रेरणापुंज हैं।

Leave a Reply