रौशनी बिखेरते चलें हम

डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’  नागपुर(महाराष्ट्र) ************************************************************************* दिलों को,दिल से जोड़ कर, रौशन किया,सपनों का महल। अपनों का,साथ भी मिला, सजाया जैसे,अपना हो शीशमहल। ना जानें क्यों,लोगों की, खुशी के लिए,जलाता नहीं दिया कोई,दिल का। घर-सामान की सफाई, करते हैं,पर्व में सभी तन-मन की गंदगी,देखता नहीं कोई, के प्यार से दिया,जले दिल का। हम उपहार … Read more

वह सपना ही तो था

डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’  नागपुर(महाराष्ट्र) ************************************************************************* निद्रा में जैसे,सपने आते सपने में जैसे,तुम दिखते। कुछ बेगाने से,कुछ अंजाने से, एहसासों को जैसे,सर्द हवाएं देते। वह सपना ही तो था… बेचैनी में जैसे,इज़ाफा करते, दिल को जैसे,घायल करते। ना मीठी यादें,ना दिलकश वादे, समीप आते और,गुम हो जाते। वह सपना ही तो था… गुजारी है … Read more

माँ

दुर्गेश राव ‘विहंगम’  इंदौर(मध्यप्रदेश) ************************************************** अमर प्यार है माँ का जग में,माँ ही सच्चा मीत, सेवा करता है जो माँ की,होती उसकी जीत। नहीं हारता है वह जग में,माँ हो जिसके पास, हर लेती है माँ सदैव दुःख,देती सुख-सा शीतll परिचय-दुर्गेश राव का साहित्यिक उपनाम ‘विहंगम’ है।१९९३ में ५ जुलाई को मनासा (जिला नीमच, मध्यप्रदेश) … Read more

पावस

दुर्गेश राव ‘विहंगम’  इंदौर(मध्यप्रदेश) ************************************************** तरु की डालियाँ झूम उठी, मचल रहे हैं पल्लव सर-सर चलती समीरl मन में उठे उमंग, चलो झूम उठें वर्षा के संगl हर बूंद में हीरे-सा नीर, दादुर बोले टर-टर चम-चम चमके दामिनीl काला मेघ आया चारों ओर वसुधा पर छाया, कल-कल बहती नदिया, खेले संग नीर के मछलियाँl भास्कर … Read more

पत्ते की व्यथा

दुर्गेश राव ‘विहंगम’  इंदौर(मध्यप्रदेश) ************************************************** तरु से गिरा पत्ता तल में आ गिरा तरु के, समीर के संग, उड़ता चला जाए नहीं चलती कोई सत्ता, राह में धूल से लपेटे हुए राहगीरों के पैरों तले दबता, कभी काँटों में अटकना तो कभी गड्ढों में सड़ना, दिनकर की रोशनी से जल उठता सुख कर चूर-चूर हो … Read more

श्री राम

दुर्गेश राव ‘विहंगम’  इंदौर(मध्यप्रदेश) ************************************************** जपो राम का नाम,न जीवन पुन: मिलेगा। भला करेंगे राम,पुष्प-सा प्राण खिलेगा। परम भक्त हनुमान,राम की गाथा गाते। मिलते प्रभु श्री राम,सुखी जीवन को पाते॥ परिचय-दुर्गेश राव का साहित्यिक उपनाम ‘विहंगम’ है।१९९३ में ५ जुलाई को मनासा (जिला नीमच, मध्यप्रदेश) के भाटखेड़ी बुजुर्ग में जन्मे दुर्गेश राव का वर्तमान निवास … Read more

कवि दुर्गेश राव सम्मानित

जबलपुर। विश्ववाणी हिंदी संस्थान जबलपुर (मध्यप्रदेश) द्वारा युवा कवि दुर्गेश राव को ‘हिंदी सेवी सम्मान’ से सम्मानित किया गया। कवि आचार्य कृष्णकांत चतुर्वेदी ने आपको यह सम्मान हिन्दी में लेखन सेवा के लिए दिया है। मनासा जिला नीमच (मध्य प्रदेश) निवासी दुर्गेश राव(वर्तमान निवास इंदौर) को इस उपलब्धि के लिए सभी मित्रों ने शुभकामनाएं दी … Read more