काश!

मदन मोहन शर्मा ‘सजल’  कोटा(राजस्थान) **************************************************************** काश! प्यार करने वाले मोम के बने होते, पिघल कर एक दूसरे में मिले तो होते, काश! सदा एक ही डाली के फूल होते, काँटों के बीच गुस्ताखी से खिले तो होते, काश! तोड़ देते जमाने की बेदर्द बेड़ियां, पत्थरों से कठोर दिल कुछ हिले तो होते, काश! ना होती … Read more

सुहाना पागलपन

मदन मोहन शर्मा ‘सजल’  कोटा(राजस्थान) **************************************************************** वह निहारती है तो मैं नजरें झुका लेता हूँ, वह हया के परदे में सिमट जाती है जब मैं उसे एकटक देखता हूँ, शबनम-सी लरजती अंतर्मन से प्रस्फुटित होती, भावनाओं का कोमल स्पर्श मदहोश करती अभिलाषा, आँखों से नूर बनकर टप-टप टपकती है, पर खामोश। थरथराते हैं होंठ करने लगता … Read more

पलटना भी जरूरी है

मदन मोहन शर्मा ‘सजल’  कोटा(राजस्थान) **************************************************************** सियासत के तरीकों का,बदलना भी जरूरी है, अंधेरी रात का आलम,सुबह होना जरूरी हैl बहारों को पता दे दो,खिलाये फूल खुशियों के, चमन का बेरहम माली,पलटना भी जरूरी हैl अमन बेचैन दिखता है,घृणा की वादियां छाई, दिलों के फासले अब तो,दरकना भी जरूरी हैl तमाशा देख चुप होना,सियासत राजदारों की, … Read more