काश!
मदन मोहन शर्मा ‘सजल’ कोटा(राजस्थान) **************************************************************** काश! प्यार करने वाले मोम के बने होते, पिघल कर एक दूसरे में मिले तो होते, काश! सदा एक ही डाली के फूल होते, काँटों के बीच गुस्ताखी से खिले तो होते, काश! तोड़ देते जमाने की बेदर्द बेड़ियां, पत्थरों से कठोर दिल कुछ हिले तो होते, काश! ना होती … Read more