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पलटना भी जरूरी है

मदन मोहन शर्मा ‘सजल’ 
कोटा(राजस्थान)
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सियासत के तरीकों का,बदलना भी जरूरी है,
अंधेरी रात का आलम,सुबह होना जरूरी हैl

बहारों को पता दे दो,खिलाये फूल खुशियों के,
चमन का बेरहम माली,पलटना भी जरूरी हैl

अमन बेचैन दिखता है,घृणा की वादियां छाई,
दिलों के फासले अब तो,दरकना भी जरूरी हैl

तमाशा देख चुप होना,सियासत राजदारों की,
बगावत में उठे परचम,मचलना भी जरूरी हैl

कभी धोखा कभी बलवा,मिले हैं रोज जनता को,
‘सजल’ शमशीर बागी पर,लटकना भी जरूरी है।

परिचय-मदन मोहन शर्मा का साहित्यिक नाम  ‘सजल’ है। जन्मतिथि ११ जनवरी १९६० तथा जन्म स्थान कोटा(राजस्थान)है। आपका स्थाई पता कोटा स्थित आर. के.पुरम है। श्री शर्मा ने स्नात्तकोत्तर (अंग्रेजी साहित्य) की शिक्षा हासिल की और पेशे से व्याख्याता(निजी महाविद्यालय)का कार्यक्षेत्र है। आपकी लेखनी का उद्देश्य समाज में व्याप्त बुराइयों,आडम्बरों के खिलाफ सतत संघर्ष के लिए कलम उठाए रखना है। कलम के माध्यम से समाज में प्रेम, भाईचारा,सौहार्द कायम करना आपका प्रयास है। गीत,कविता,गज़ल,छन्द,दोहे, लेख,मुक्तक और लघुकथाएं आदि लेखन विधा है।

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