बेटी बचाओ,खुशी पाओ

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** नसीब वाले होते हैंवो घर-परिवार,जहाँ जन्म लेतीहै बेटी।परिवारों की जानहोती है बेटी,घर की लक्ष्मीहोती है बेटी।सुसराल में सीतादुर्गा होती है बेटी,दो कुल की शानहोती है बेटी॥ बेटी के स्नेह कोकभी आजमाना नहीं,वह फूल है उसेकभी रुलाना नहीं।पिता का तो गुमानहोती हैं बेटी,जिन्दा होने कीपहचान होती है बेटी।उसकी आँखें कभीनम न होने देना,उसकी … Read more

वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यार

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************************** वो होती थी बैरन रात,रात,लिखती थी मन की बातlबात-बात में करती थी इज़हार,वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यारll बार-बार कागज को फाड़,फाड़,लिखती थी सौ-सौ बारlबार,आने की करती मनुहार,वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यार…ll उसमें बसती थी आस,आस,प्यास,दिल की साँसlसाँस,इन अँसुअन की धार,वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यार…ll सीने से लगा घबराती,घबराती,डाकिए को दे पातीlपाती,सबसे लगता था डार,वो … Read more

माता रानी करती मुराद पूरी

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** करे जो पूजा और भक्ति,नवरात्रि के दिनों मेंऔर साधना करते हैं,माता की उपासना करकेतो मिलता है शुकुन,उसे अपने जीवन मेंऔर हर इच्छा,हो जाती उसकी पूरी।माता के ९ रुपों को,जो ९ दिन पूजते हैंउसको हर रूप का,दर्शन साधना में दिखता हैऔर माता रानी उसकी,हर मुराद पूरी कर देती हैक्योंकि वो माँ होती है,इसलिए … Read more

बेटी,क्या श्राप!

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** सर उठा कर चल नहीं सकताबीच सभा के बोल नहीं सकता,घर-परिवार हो या गाँव-समाजहर नजर में घृणा का पात्र हूँ।क्योंकि, ‘बेटी’ का बाप हूँ… जिंदगी खुलकर जी नहीं सकताचैन की नींद कभी सो नहीं सकता,हर दिन-रात रहती है चिंताजैसे दुनिया में कोई श्राप हूँ।क्योंकि, ‘बेटी’ का बाप हूँ… दुनिया के ताने-कसीदे सहताफिर … Read more

बिटिया चली ससुराल को…

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************************** छूटे बाबुल का यह घरबचपन,आँगन और दर,बिछड़े संगी और सखीपीहर की ये प्यारी गली।बिटिया चली ससुराल को… छूटे माँ,बापू,काका,काकीबहन और भैया-भाभी,अपने पिया के संग चलीअपनी ससुराल की गली।बिटिया चली ससुराल को… भूल ना जाना यह घर-बारबिटिया खुश रहना ससुराल,बसे तेरा प्यारा घर संसारहर दिन हो नया त्यौहार।बिटिया चली ससुराल को… ससुराल … Read more

महबूब

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** पूणिमा की चाँदनी रात में,महबूब को लेकर साथ में।चले जन्नत में मोहब्बत,करने के लिए वो।महबूब के पैरों में कहीं,कोई काँटा न चुभ जाए।तभी तो चाँद ने बगीचे में,मोतियों को बिछा दियाll जैसे ही पड़े कदम महबूब के,जन्नत के बाग में।मुरझाई लताएं भी स्पर्श से,फिर से खिल उठी।और ठंडी हवाओं ने,फिर खुशबू बिखेर … Read more

कल,आज और कल

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** एक वो जमाना था,जिसमें आदर सत्कार था।एक ये जमाना है,जिसमें कुछ नहीं बचा।दोनों जमाने में यारों,अन्तर बहुत है।इसलिए तो घरों में,अब संस्कार नहीं बचेll माँ-बाप छ: बच्चों का,पालन-पोषण कर देते थे।और छ: बच्चे मिलकर,माँ-बाप को नहीं रख पाते।उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़कर,अपना फर्ज निभाते हैं।और फिर भी पुत्र,उन्हीं के कहलाते हैंll यही काम … Read more

भूलने लगे हैं बापू के विचार

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) ************************************************************ महात्मा गांधी जयन्ती विशेष….. उन सदविचारों से ही मुख मोड़ने लगे हैंअब आपके विचारों को,भूलने लगे हैं,यह नहीं था आजाद भारत का सपना बापू का-जिस सूत्र में पिरोया,वो तोड़ने लगे हैं।अहिंसा अपना कर बापू ने दिलाई आजादीलोग क्यूँ समाज में हिंसा घोलने लगे हैं,सत्य की एकमात्र राह पर चलना सिखलाया था-क्यूँ … Read more

खूब निभाती है लड़कियाँ

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** लड़का हो या लड़की,दोनों एक समान हैहर काम करने लगी,आजकल की लड़कियाँ। इसलिए तो लोगों की,अब सोच बदल रही।और लड़की के जन्म पर,अब खुशियां मनाने लगे। लड़कों से बढ़ कर आजकल,लड़कियाँ निकल रहीसमाज को आईना,अब लड़कियाँ दिखा रही। इसलिए तो माँ-बाप को,अब लड़कियाँ भा रही।और कोख में अब इनकी,हत्या कम हो रही॥ … Read more

करो अच्छे कर्म तुम

संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ******************************************** न खुशी की कोई लहर,हमें आगे दिखती है।जीवन और मृत्यु का डर,अब हमें नहीं लगता है।बस एक आस दिल में,सदा हम रखते हैं।अकाल मृत्यु न हो,इस काल में॥ न कर पाते क्रिया कर्म,न बेटा निभा पाता धर्म।अनाथ की तरह से,किया जाता अंतिम क्रिया-कर्म।न उनको चैन मिलता है,न परिवारवालों को शांति।मुक्ति पाई भी … Read more