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वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यार

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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वो होती थी बैरन रात,
रात,लिखती थी मन की बातl
बात-बात में करती थी इज़हार,
वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यारll

बार-बार कागज को फाड़,
फाड़,लिखती थी सौ-सौ बारl
बार,आने की करती मनुहार,
वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यार…ll

उसमें बसती थी आस,
आस,प्यास,दिल की साँसl
साँस,इन अँसुअन की धार,
वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यार…ll

सीने से लगा घबराती,
घबराती,डाकिए को दे पातीl
पाती,सबसे लगता था डार,
वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यार…ll

जब आता पिया का संदेश,
संदेश,रोती बार-बार देखl
देख,पढ़ती बंद करके किवाड़,
वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यार…ll

चिट्ठी में होती तकरार,
तकरार,मान और मनुहारl
मनुहार,याद आता बार-बार,
वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यार…ll
वो चिठ्ठी-पत्री वाला प्यार…

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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