कुल पृष्ठ दर्शन : 519

भूलने लगे हैं बापू के विचार

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

************************************************************

महात्मा गांधी जयन्ती विशेष…..

उन सदविचारों से ही मुख मोड़ने लगे हैं
अब आपके विचारों को,भूलने लगे हैं,
यह नहीं था आजाद भारत का सपना बापू का-
जिस सूत्र में पिरोया,वो तोड़ने लगे हैं।
अहिंसा अपना कर बापू ने दिलाई आजादी
लोग क्यूँ समाज में हिंसा घोलने लगे हैं,
सत्य की एकमात्र राह पर चलना सिखलाया था-
क्यूँ हम असत्य की राह पर डोलने लगे हैं।
बापू ने भरी थी सभी में प्रेम की आशा
क्यूँ एक-दूजे को नफरत से कोसने लगे हैं
देख कर गरीबी बापू ने पहनी जीवनभर धोती-
लूट कर चादरें हम खुद को ढँकने लगे हैं।
बुरा ना कहो,बुरा ना देखो,बुरा ना सुनो
यह हर तरह उलटा हो,यही सोचने लगे हैं,
जन्मदिन-पुण्यतिथि पर ही याद करते हैं वरना-
सब राजनीति की रोटी,सेंकने लगे हैं।
देवेश की विनती है बापू के विचार-शिक्षा अपनाओ
सब जगह ही,अंधेरे फैलने लगे हैंll

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

Leave a Reply