ईश्वर संग हमारी आस्था,यही सत्यता

सतीश ‘बब्बा’चित्रकूट(उत्तरप्रदेश)************************************************* ईश्वर और मेरी आस्था स्पर्धा विशेष….. ‘ई’ और ‘स्वर’ से बना यह ईश्वर शब्द, भारतीय जनमानस की आस्था का केंद्र है। बहुत पहले से ईश्वर और हमारी आस्था पर बहस,शोध होते रहे हैं।ईश्वर कहाँ है,ईश्वर क्या है,ईश्वर कैसा है ?,आज तक मात्र कल्पनाओं का पुलिंदा है,किसी ने ईश्वर को देखा नहीं है! ईश्वर … Read more

पीड़ा हर सकूँ सबकी

सतीश विश्वकर्मा ‘आनंद’ छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश) ****************************************************************************** मुझे आशीष दो इतना कि ऊँचा नाम बन जाऊँ, पीड़ा हर सकूँ सबकी अगर घनश्याम बन जाऊँ। करूँ परिवार की खातिर कि जो भी हो करम मेरा, पिता का पुत्र ऐसा हो कि घर का राम बन जाऊँ॥ परिचय-सतीश विश्वकर्मा का साहित्यिक उपनाम `आनंद` हैl जन्म २८ अप्रैल १९८५ … Read more

जैसा मैं सोचता हूँ

सतीश विश्वकर्मा ‘आनंद’ छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश) ****************************************************************************** शब्द मैंने लिखे जो अमर हो गए। कुछ तो ऐसे लिखे कि समर हो गए। बारहा वो सितम मुझपे करता रहा, मैंने हमले किये जो कहर हो गए…। हमने ज़मज़म समझकर जिसे पी लिया, ज़िन्दगी के वो प्याले ज़हर हो गए…। तेरी आगोश में खुद को बेखुद किया, सारी … Read more