न जाने कैसी होली है!

राजबाला शर्मा ‘दीप’ अजमेर(राजस्थान) ******************************************************************************************** रंगो में उत्साह नहीं है, और उमंगें अनबोली है। न जाने कैसी होली है…!! मुस्कानें हो गई खोखली, न नैनों में है न वो मस्ती… रंग सभी बेरंग हो गये, न कोई हँसी-ठिठोली है। न जाने कैसी होली है…!! ढोल-नगाड़े मंद हो गये, चंगों के स्वर बंद हो गये… मौसम … Read more

हमारा भारत

दीपक शर्मा जौनपुर(उत्तर प्रदेश) ************************************************* शीश मुकुट हिमालय जिनकी छाती पर पावन गंगा है, महिमा उस देश की गाता हूँ,जिस देश की शान तिरंगा है। जहाँ ताजमहल और लाल किले-सी अदभुत भव्य इमारत है, सागर जिनके पाँव पखारे,वही हमारा भारत हैll जहाँ सरिता,झरना,झीलें और सुंदर बाग-बगीचे हैं, रामेश्वर-काशी-काबा सब एक गगन के नीचे हैं। जहाँ … Read more

नारी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प: विधान-१२२२,१२२२,१२२२,१२२२ = २८ मात्रा १२२२,१२२२,१२२२,१२२२ = २८ मात्रा १,७,१५,२२वीं मात्रा लघु अनिवार्य) बताओ कौन है ऐसा,मही नारी न हो जाया। सिखा ईमान भी इनको,सखे बेबात भरमाया। करें हम मान नारी का,सदा इंसान कहलाएँ, इबादत हो अमानत की,यही संसार में माया। करें सम्मान जननी का,विरासत ये चलाती है। सभी दु:ख … Read more

कड़वी चाय

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* “ये फौजी साहब भी महान हैं,इन्हीं के भरोसे हम सब चैन की नींद सोते हैं।” लोकल ट्रेन की सीट पर ताश बांटते हुए रमेश ने कृतज्ञता प्रकट की। “अरे बांट ना यार ताश!” बीच में टोकते हुए खेल के प्रतिभागी नवीन ने कहा। बेचारा फौजी सामान के साथ चुपचाप … Read more

पीड़ा

डॉ.चंद्रदत्त शर्मा ‘चंद्रकवि’ रोहतक (हरियाणा) ******************************************************* आज न जाने क्यों शिवनंदन सर अपने सिद्धांतों को तिलांजलि देकर कुछ कमजोर छात्रों की मदद के लिए परीक्षा केन्द्र पहुंच गए। “ए मास्टर चला जा..जाओ कोई आपकी वीडियो बना लेगा..” एकसाथ आवाजें सुनाई दी। जैसे ही यह सब उसकी प्रिय शिष्या आरज़ू ने देखा, उसे बेहद तकलीफ हुई … Read more

पिता

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* (रचना शिल्प:विधान-१२२२ १२२२ १२२२ १२२२) सजीवन प्राण देता है,सहारा गेह का होते। कहें कैसे विधाता है,पिताजी कम नहीं होते। मिले बल ताप ऊर्जा भी,सृजन पोषण सभी करता। नहीं बातें दिवाकर की, पिता भी कम नहीं तपता। मिले चहुँओर से रक्षा,करे हिम ताप से छाया। नहीं आकाश की बातें,पिताजी में यहीं माया। … Read more

चुप कब तलक रहिये

राजबाला शर्मा ‘दीप’ अजमेर(राजस्थान) ******************************************************************************************** बेगानों की बस्ती में मेरे दिल कब तलक रहिये। न ये कहिये,न वो कहिये,छुपाते कब तलक रहिये। दिखायेंं किसको जख्मे-दिल,सुनायेंं किसको हाले-गम, न ये सुनते,न वो सुनते,सुनाते कब तलक रहिये। वो करके कैद मुझसे पूंछते हैं, “खुश तो हो जानम”, ऐसे दिलबर को दर्दे-दिल दिखाते कब तलक रहिये। वफा के … Read more

नारी

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… नारी जग को धारती,धरती का प्रतिरूप। पावन निर्मल सजल है,गंगा यमुन स्वरूप। गंगा यमुन स्वरूप,सभी को जीवन देती। होती चतुर सुजान,अभाव सभी सह लेती। कहे लाल कविराय,मनुज की है महतारी। बेटी,बहू समान,समझ लो दैवी नारी। नारी सभी घर लक्ष्मी,घर दर पालनहार। भव सागर परिवार की,तरनी तारन … Read more

नारी नारी से हारी है

सुबोध कुमार शर्मा  शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* ‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष………………… नारी से हारी नारी है, यह कैसी लाचारी है। दहेज परहेज की बात सदा, करती केवल नारी है। अत्याचारों की ज्वाला से, नित जलती बस नारी है। प्रसव पीड़ा परिहास बनी, नारी ने जन्मी नारी है। तात गृह से विदा हुई जब, नारी बनी बिचारी … Read more

शिव महिमा

श्रीमती पुष्पा शर्मा ‘कुसुम’ अजमेर(राजस्थान) **************************************************** शिव शंकर कैलाश में गिरिजा सोहे साथ में, गोद लिये गणपति नंदी पे सवार है। जटा मुकुट शीश पर कटि सोहे बाघम्बर, अर्धचन्द्र भाल पर शीश गंगधार है। भस्म अंग मुण्डमाल भूषण बने हैं व्याल, रुद्राक्षों से सज रहा अदभुत श्रंगार है। शोभित त्रिशूल कर मोहता डमरू स्वर, चढ़े … Read more