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नारी

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष…………………


नारी जग को धारती,धरती का प्रतिरूप।
पावन निर्मल सजल है,गंगा यमुन स्वरूप।
गंगा यमुन स्वरूप,सभी को जीवन देती।
होती चतुर सुजान,अभाव सभी सह लेती।
कहे लाल कविराय,मनुज की है महतारी।
बेटी,बहू समान,समझ लो दैवी नारी।

नारी सभी घर लक्ष्मी,घर दर पालनहार।
भव सागर परिवार की,तरनी तारन हार।
तरनी तारन हार,विवेक से घर सँजोती।
पीहर और ससुराल,समझ संवादी होती।
कहे लाल कविराय,यही है अचरज भारी।
कैसे चलि परिवार,सहेजो सब घर नारी।

नारी शक्ति रूप रही,और शक्ति की स्रोत।
नारी के सम्मान पर,घर खुशहाली होत।
घर खुशहाली होत,देवता भी आ जाते।
सब ग्रंथन को सार,गुरूजन सभी बताते।
कहे लाल कविराय,जोरि कर हूँ आभारी।
ममता नेह दुलार,शक्ति उपकारी,नारी।

नारी माता पुरुष की,भगिनि सुता या नार।
प्रेम समर्पण त्याग की,बहु खण्डी मीनार।
बहु खण्डी मीनार,खण्ड हर नेह सजाती।
नेह निभाए खूब,स्वयं को अहम तजाती।
कहत लाल कविराय,नेह की नदी हमारी।
इनका हो सम्मान,यही हक चाहत नारी।

रानी झाँसी पदमिनी,रजिया जैसी होय।
देश धर्म मर्याद हित,जीवन बाती बोय।
जीवन बाती बोय,उगे बलिदानी खेती।
श्रम शक्ति दे खाद,बने ये फसल अगेती।
कहे लाल कविराय,जरूरत इसकी खासी।
हर नारी बन जाय,आज फिर रानी झाँसी।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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