फिर आओ इक बार यहाँ कान्हा

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. हे जग तारी,कृष्ण मुरारी, जन्मे मथुरा तुम,कंस के कारागार में। पहुंचे ईश्वरीय लीला से तुम, माता यशोदा के द्वार में। हे देवकी नन्दन नंद-लाला, तुम ही तो तारनहार हो। खुद को माखन-चोर,चित-चोर बना के, तुम्ही जग के राखनहर हो। हे वासुदेव-देवकी नन्दन, उफनती यमुना,रात … Read more

जुबां सूख गयी श्याम

ललित प्रताप सिंह बसंतपुर (उत्तरप्रदेश) ************************************************ कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष………. श्याम-श्याम रटते-रटते जुबां सूख गयी है श्याम, आया नहीं तू मोहन ये रूह कर रही है इंतजार तेरे विरह में दिल न करता है कोई काम, दे उपदेश रहा ऊधव है जैसे वो हो कोई भगवानl श्याम-श्याम… कह गये परसों आऊंगा,अब बीत गये कई साल, … Read more

कुछ तो दूं अपने हिन्दुस्तान को

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** कैप्टन सुरजन सिंह आर्मी सर्विस से सन् १९९२ में रिटायर होकर जबलपुर में बस गये। परिवार में पत्नी,दो बेटे गुलवीर और जसवीर, एक बेटी कुलजीत कौर कुल पांच लोग थे। समृद्धि,खुशहाली सब-कुछ था। कैप्टन साहब अक्सर शाम-रात को बैठते,और बड़े बेटे को आवाज देते-“ओये गोलू तूने बताया नहीं,क्या … Read more

प्रतिरोध

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** यही तो किया हमने दिन-रात रोटियाँ सिकाई, ठंडी नहीं हो पाई कभी चूल्हे की आँच, भीतर ही भीतर सुलगती रही, भ्रम में रही गाथाएँ हमारे प्रतिरोध को, अखंड शांति की तरह आँका गया। कपड़ों से मेल छुटाते धोते रहे अपने, आँसूओं से आत्मा मैली ऐड़ियाँ, मैली कोहनियाँ दर्शाती … Read more

जह़र जिन्दगी का

ललित प्रताप सिंह बसंतपुर (उत्तरप्रदेश) ************************************************ जिन्दगी को अपनी यूँ जी रहे हैं हम। मानो जह़र जिंदगी का पी रहे हैं हम। हर वक्त हर पल तेरी याद को लेकर, किसी से कुछ नहीं कह रहे हैं हम। खूब मसखरी कर रहा है ये जमाना, सबको चुपचाप अब सह रहे हैं हम। मुद्दतों से हुयी … Read more

जीवन पथ

भोला सिंह बलिया(उत्तरप्रदेश)  ***************************************** जीवन में नित बढ़ना होगा, समय के साथ बदलना होगा। हवा रूपी इस जीवन में, तूफानों के साथ चलना होगा। जीवन में नित बढ़ना होगा… प्रकृति के विचार में नित, दिन पर दिन अब ढलना होगा। पग-पग पर बाधा पार करके, समय के साथ अब चलना होगा। जीवन में नित बढ़ना … Read more

ज़िन्दगी का मतलब

नरेंद्र श्रीवास्तव गाडरवारा( मध्यप्रदेश) ***************************************************************** ज़िन्दगी का मतलब, सिर्फ मतलब के लिये ही न हो। ज़िन्दगी का मतलब, वृक्ष की तरह हो जड़,पत्ती,शाखा, फूल और फल… सभी कुछ,सभी के लिये। ज़िन्दगी का मतलब, दीपक की तेल-बाती की तरह हो खुद ख़त्म होता चले… पर,सबको रोशनी देता रहे। ज़िन्दगी का मतलब, सिर्फ जन्म लेना और मर … Read more

मापदण्ड

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद (गुजरात )  **************************************************************** चलो लिखो!!! भूख और फुटपाथ, नंगी देह और अंधाधुंध सामान से पटा बाजार, कूड़े के ढेर में बोतलें ढूँढते हाथ, बड़ी-बड़ी इमारतों में शिक्षा का रहवास, और वहीं कबाड़ी के यहाँ फटी किताब, उलटते-पलटते मापदंड से बाहर, फिर-फिर उल्टे बेंत पूरा दृश्य रंगमंच की शोभा लजा रहा है, … Read more

नया रास्ता

सविता सिंह दास सवि तेजपुर(असम) ************************************************************************* पढ़ाई पूरी हो चुकी थी,राहुल अब दिन-रात नौकरी की तलाश में भटक रहा था,पर इस प्रतिस्पर्धा के जमाने में कुछ भी हासिल करना आसान नहीं था। उसे अपना जीवन व्यर्थ लगने लगा था। शायद वह डिप्रेशन का शिकार हो रहा था। कभी-कभी दिनभर खिड़की के बाहर देखता रहता,या औंधे मुँह … Read more

सबके जैसा

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’ बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************************************** न मिलेगा यहाँ तुझे कोई तेरे जैसा, तू यहाँ खुद ही बन के देख ले सबके जैसा। बैठा है आसमां पे वो सबका रखवाला, माँग ले उससे दुआ बनने की सबके जैसा। बैठा है आसमां पे सबकी दुआ सुनने को, तेरी दुआ पहुंचे वहाँ तो तू बने सबके … Read more