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जुबां सूख गयी श्याम

ललित प्रताप सिंह
बसंतपुर (उत्तरप्रदेश)

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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….


श्याम-श्याम रटते-रटते जुबां सूख गयी है श्याम,
आया नहीं तू मोहन ये रूह कर रही है इंतजार
तेरे विरह में दिल न करता है कोई काम,
दे उपदेश रहा ऊधव है जैसे वो हो कोई भगवानl
श्याम-श्याम…

कह गये परसों आऊंगा,अब बीत गये कई साल,
तेरे एक दर्शन को आँखों से बह रही है अश्रुधार
विष पीने को जी है,मगर तेरे मिलन की भी है आस,
कैसे समझाऊं मैं दिल को,जिसमें बस तेरी ही है प्यासl
श्याम-श्याम…

वो बंशी की मधुर वाणी एक बार फिर सुना दो श्याम,
हमारे उर से क्यूँ कर रहे हो खिलवाड़ अब श्याम
बन गया है ऊधव मूर्ख,जो था जग का प्रचंड विद्वान,
प्रीति की रीति अब निभा दो,वरना तो चिता है ही तैयार!
श्याम-श्याम…रटते-रटते जुबां सूख गयी है श्यामll

परिचय : ललित सिंह का निवास जिला रायबरेली स्थित ग्राम बसंतपुर (उत्तरप्रदेश)में है ।वर्तमान में बीएससी की पढ़ाई के साथ ही लेखन भी जारी है । लेखन में आपको श्रृंगार विधा में लिखना अधिक पसंद है । कई स्थानीय पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित हुई है । ललित प्रताप सिंह का साहित्यिक उपनाम-ललित है। जन्मतिथि ४ जुलाई १९९९ और जन्मस्थान-होशियारपुर(पंजाब) है।कार्यक्षेत्र में आप विद्यार्थी हैं,तो लेखन विधा-कविता और ग़ज़ल जो श्रृंगार रस में लिखना हैl प्रकाशन में श्री सिंह का साझा काव्य संग्रह शीघ्र ही आने वाला हैl आप ब्लॉग पर भी अपनी बात रखते हैंl आपकी नजर में लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी का प्रचार करना हैl

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