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प्रतिरोध

डाॅ.आशा सिंह सिकरवार
अहमदाबाद (गुजरात ) 
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यही तो किया हमने
दिन-रात रोटियाँ सिकाई,
ठंडी नहीं हो पाई
कभी चूल्हे की आँच,
भीतर ही भीतर
सुलगती रही,
भ्रम में रही गाथाएँ
हमारे प्रतिरोध को,
अखंड शांति की तरह
आँका गया।

कपड़ों से मेल छुटाते
धोते रहे अपने,
आँसूओं से आत्मा
मैली ऐड़ियाँ,
मैली कोहनियाँ दर्शाती है
कहाँ-कहाँ
हमने हल जोते,
कैसे फूंके
जिंदगी के कर्मठ दिन।

आदेशों पर झुकी रहीं पलकें
देह पर लाद दिए गए गहने,
प्रतिष्ठा और प्रदर्शनी
के साथ-साथ,
बढ़ता गया पीठ पर वजन
गधों की तरह ढोते रहे,
मिट्ठी को।

मानो बरसात के बाद
शाम मेरी सँवर चली,
हाय! कितनी बलइयाँ
जितने चेहरे
उतने रंग,
कितने ढोंग-धतूरे से
ढाँप दिया।

तानाशाहों के चेहरे
जिंदगी के बोर्ड पर छपे हैं काली स्याही से,
मिटाने की क़वायद बेकार साबित होगी
इसलिए हमने रख दिए
अंधेरी कोठरी में
संभाल कर ‘कालिन घाव’,
ताकि हम डिगें नहीं
कभी अपनी जगह से,
भटके नहीं रास्ता।

हमें क्या मिला…
बस,यही
अग्नि-परीक्षा से गुजरते हुए
वन वन भटके,
जगह-जगह तैनात भेड़िए
नोंच खाएं,
और अंधेरे में धकेल दी जाएं
उनकी सत्ता
उनका न्याय
सबकुछ एक चक्रव्यूह रचती हैं,
जिसके भीतर सिर्फ कुदाल चलती है
जो सिखाती है उन्हीं की तरह,
जीने के नायाब तरीके
संवेदनशीलता और भावुकता से,
महज़ एक कमजोरी है
जितनी जल्दी हो सके,
छिटक कर दूर हो जाएँ।

संघर्षरत जीवन की
तमाम कहानियाँ-कविताएँ,
बावजूद हुआ क्या!

अजेय आत्मा खोजती है कैवलय में
उस सवाल का जवाब,
जो सिर्फ मेरा नहीं है…॥

परिचयडाॅ.आशासिंह सिकरवार का निवास गुजरात राज्य के अहमदाबाद में है। जन्म १ मई १९७६ को अहमदाबाद में हुआ है। जालौन (उत्तर-प्रदेश)की मूल निवासी डॉ. सिकरवार की शिक्षा- एम.ए.,एम. फिल.(हिन्दी साहित्य)एवं पी.एच.-डी. है। आलोचनात्मक पुस्तकें-समकालीन कविता के परिप्रेक्ष्य में चंद्रकांत देवताले की कविताएँ,उदयप्रकाश की कविता और बारिश में भीगते बच्चे एवं आग कुछ नहीं बोलती (सभी २०१७) प्रकाशित हैं। आपको हिन्दी, गुजराती एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। आपकी कलम से गुजरात के वरिष्ठ साहित्यकार रघुवीर चौधरी के उपन्यास ‘विजय बाहुबली’ का हिन्दी अनुवाद शीघ्र ही प्रकाशित होने वाला है। प्रेरणापुंज-बाबा रामदरश मिश्र, गुरूदेव रघुवीर चौधरी,गुरूदेव श्रीराम त्रिपाठी,गुरूमाता रंजना अरगड़े तथा गुरूदेव भगवानदास जैन हैं। आशा जी की लेखनी का उद्देश्य-समकालीन काव्य जगत में अपना योगदान एवं साहित्य को समृद्ध करने हेतु बहुमुखी लेखनी द्वारा समाज को सुन्दर एवं सुखमय बनाकर कमजोर वर्ग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और मूल संवेदना को अभिव्यक्त करना है। लेखन विधा-कविता,कहानी,ग़ज़ल,समीक्षा लेख, शोध-पत्र है। आपकी रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित और आकाशवाणी से भी प्रसारित हैं। काव्य संकलन में आपके नाम-झरना निर्झर देवसुधा,गंगोत्री,मन की आवाज, गंगाजल,कवलनयन,कुंदनकलश,
अनुसंधान,शुभप्रभात,कलमधारा,प्रथम कावेरी इत्यादि हैं। सम्मान एवं पुरस्कार में आपको-भारतीय राष्ट्र रत्न गौरव पुरस्कार(पुणे),किशोरकावरा पुरस्कार (अहमदाबाद),अम्बाशंकर नागर पुरस्कार(अहमदाबाद),महादेवी वर्मा सम्मान(उत्तराखंड)और देवसुधा रत्न अलंकरण (उत्तराखंड)सहित देशभर से अनेक सम्मान मिले हैं। पसंदीदा लेख़क-अनामिका जी, कात्यायनी जी,कृष्णा सोबती,चित्रा मुदगल,मृदुला गर्ग,उदय प्रकाश, चंद्रकांत देवताले और रामदरश मिश्र आदि हैं। आपकी सम्प्रति-स्वतंत्र लेखन है।

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