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कुछ तो दूं अपने हिन्दुस्तान को

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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कैप्टन सुरजन सिंह आर्मी सर्विस से सन् १९९२ में रिटायर होकर जबलपुर में बस गये। परिवार में पत्नी,दो बेटे गुलवीर और जसवीर, एक बेटी कुलजीत कौर कुल पांच लोग थे। समृद्धि,खुशहाली सब-कुछ था।
कैप्टन साहब अक्सर शाम-रात को बैठते,और बड़े बेटे को आवाज देते-“ओये गोलू तूने बताया नहीं,क्या सोचा है। आर्मी के बारे में!”
“पापा जी बताया तो है कई बार,मुझे आर्मी में ही जाना है,पर पढ़ाई तो पूरी कर लूँ। अगले साल मेरा बी.ए. पूरा हो जाएगा तो जाऊंगा।”
गुलवीर ने बी.ए. पास करके आर्मी ज्वाइन कर ली।
मार्च १९९९ को उसकी सगाई हुई,नवम्बर में शादी ह़ोनी थी,परन्तु उसका सौभाग्य कहें कि १५ जुलाई १९९९ को कारगिल युद्ध में वो शहीद हो गया।
अब तक छोटा बेटा एम.काम. पूरा कर चुका था। वो शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई में अव्वल रहता था। कैप्टन साहब उसे भी आर्मी मेंं भेजना चाहते थे,पर माँ का विरोध था। वो कहती-“किसी भी काम मे लगा दो,भले घर में कोई दुकान डाल दो,पर मिलेट्री में नहीं भेजना।”
अक्सर माता-पिता में विवाद होता,जो जसवीर के मन को खिन्नता देता। एक ऐसे ही विवाद से उकता कर किसी को कुछ कहे बिना जसवीर जबलपुर कैन्ट में जाकर आर्मी का फार्म भर दिया,और कुछ ही दिनों बाद उसने भी आर्मी ज्वाइन कर ली। वो होशियार तो था ही,मृदुभाषी और व्यवहारिक भी था। जल्द ही वो आर्मी में लोकप्रिय कर्नल की तरह प्रचलित हो गया।
साल दर साल जब भी घर आता नगर में धूम मचती,घर में लोगों का हुजूम जमता।
कल ही तो आया है,तांता लगा है लोगों का। जब आया जीप के पीछे हजारों की भीड़ थी। लोग कह रहे थे,-
“कैप्टन साहब का कर्नल बेटा आ गया।” माँ नम आँखों से लिपट गई,चूमा-चाटा,पलट कर कैप्टन साहब से लिपटी और फफक पड़ी…”मान गई आपकी भावना को मैं कि,कुछ तो दूं अपने हिन्दुस्तान को।”

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

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