दास
डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** दास हैं तरह-तरह के,दासता अनेक हैकोई दास है प्रभु का-दासता ये नेक है। डोलता नशे में कोई,दासता दौलत की है।लूटता-खसोटता फिरे-डर नहीं किसी का है। कोई दास हैं नशे के,चूर इसके मद में हैंअपनों को ही डुबोते-इस सुरा के नद में हैं। टूटते न जाने कितने,छूटे ना इनकी टेक हैअज्ञानता का दास कोई-भगवान … Read more