दास

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** दास हैं तरह-तरह के,दासता अनेक हैकोई दास है प्रभु का-दासता ये नेक है। डोलता नशे में कोई,दासता दौलत की है।लूटता-खसोटता फिरे-डर नहीं किसी का है। कोई दास हैं नशे के,चूर इसके मद में हैंअपनों को ही डुबोते-इस सुरा के नद में हैं। टूटते न जाने कितने,छूटे ना इनकी टेक हैअज्ञानता का दास कोई-भगवान … Read more

‘मर्यादा’ कहानी हो चुकी

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* सभ्यता के मापदंडों को चलो नीचे उतारें।नग्नता को अब नए श्रंगार शब्दों से पुकारें। जो फटे कपड़े पहनते मानते खुद को अगाड़ी,दिव्यतम है देह इनकी पूर्ण श्रद्धा से निहारें। तन प्रदर्शन हो गया है आजकल फैशन नशीला,देह इनकी है उसे वो जब जहां चाहें उघारें। वीरता की बात तो है चीथड़े … Read more

समय चक्र

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** भाग रहा गति से अपनी ही,सुनता कब है बातें यह मेरी।नचा रहा जग को सारे यह,लगती जगती इसकी चेरी। दौड़ लगाती संग में इसके,फिर भी आगे बढ़ जाता है।कस लूँ इसको मुट्ठी में पर,कहाँ पकड़ यह आता है।मस्ती में अपने ही रहता,मैं लगा रही नित ही टेरी। छूटा जो बस छूट गया फिर,मिले … Read more

सिसकता किसान

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* उत्तम खेती वाला जिसको,मिला न एक निशान।अपना अन्न लिए बुग्गी में,जाता दुखी किसान॥ जोड़ रहा था रस्तेभर वो,लगे फसल पर दाम,बीज खाद बिजली पानी पे,खर्चा हुआ तमाम।ठीक भाव मिल जाय तो फिर,चुकता करूँ लगान,अपना अन्न लिए बुग्गी में,जाता दुखी किसान…॥ मंडी में जैसे ही पहुँचा,आये वहां दलाल,माल देख मुँह को पिचकाया,टेढ़े … Read more

बेरहम भूख

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** भूख बेरहम ही तो है,इंसा को नचा देती हैइसकी ताकत होती है,बहुत गज़ब की साथी।भूख ही झुकाती,रुलाती है,दो टुकड़े रोटी के हीचोर का ठप्पा लगा देते,भूख मजबूर बना देती है।कोई नाचता जश्ने महफिल में,कोई कूड़े से बीनता रोटीकोई भटकता दिनभर,पाता है तब जाकर रोटी।भूख तो बहुत हरजाई है,भूख बेदर्द है बहुत साथीलगती उन्हें … Read more

धूल रिश्तों पर जमी

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* लोभ लालच के गणित में धूल रिश्तों पर जमी है।आँसूओं में है दिखावा आँख में सूखी नमी है। आप गर कश्ती थे मुझको पार होना चाहिए था,आपके व्यवहार में तो दिखती रूखी गमी है। आप तो अखबार से वादे चुनावी हो गये हो,देख कर हरकत अनोखी साँस दुखियों की थमी है। … Read more

परहित पुष्प संजोती नारी

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… हर युग को झेला है जिसने,हार नहीं पर मानी वह नारी।स्वाभिमान को गया दबाया,सिर नहीं झुका वह है नारी।जीवन के दो पहलू कहलाते,फिर भी इक ऊँचा-इक नीचा।विष के प्याले पी-पी कर भी,अमृत से जग को नित सींचा।कंटक पथ के चुन-चुन काँटे,चली हमेशा आगे ही नारी।शक्तिमान के हाथों में सत्ता,सदा … Read more

कैसे बीता साल पुराना!

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* कैसे बीता साल पुराना मत पूछो।बैठे-बैठे खाल खुजाना मत पूछो॥ माह जनवरी बीता उसके स्वागत में,और फरवरी का घट रीता दावत में।देख ‘कोरोना’ मार्च महीना घबराया,कर्फ्यू से वीरान हुई भारत काया।अप्रैल में फिर थाल बजाना मत पूछो,कैसे बीता साल पुराना मत पूछो…॥ मई महीने में भी दहशत छाई थी,कितने मजदूरों ने … Read more

भारती का श्रृंगार हिंदी

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष…. भारती के भाल का श्रृंगार है हिंदी।देश में सदभाव का आधार हिंदी॥ वेद से पैदा हुई है देव गण के वास जिसमें,शान से बोलो लिखो सब छंद के परिभाष इसमें।खास है सबके लिए उपहार है हिंदी,भारती के भाल का श्रृंगार है हिंदी॥ पर्वतों में गूंजती है … Read more

दर्पण

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** शब्द नहीं हैं यह केवल,ये समाज के हैं दर्पण।रागिनी भी है दिखाती,भावों का सुन्दर अर्पण। सुन्दर शब्दों से सजकर,बनते रस से सने गीत।बहती नवरस की धारा,सात स्वरों के ले संगीत।शब्द गुंथित गीत माला,स्वर सुगंधितमय समर्पण। गीतों में गाँवों की शोभा,नदियों के नवगीत सजे।खुशियाँ हैं जगती मन में,सुनकर मन है पीर तजे।रागिनी भी है … Read more