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कैसे बीता साल पुराना!

जसवीर सिंह ‘हलधर’
देहरादून( उत्तराखंड)
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कैसे बीता साल पुराना मत पूछो।
बैठे-बैठे खाल खुजाना मत पूछो॥

माह जनवरी बीता उसके स्वागत में,
और फरवरी का घट रीता दावत में।
देख ‘कोरोना’ मार्च महीना घबराया,
कर्फ्यू से वीरान हुई भारत काया।
अप्रैल में फिर थाल बजाना मत पूछो,
कैसे बीता साल पुराना मत पूछो…॥

मई महीने में भी दहशत छाई थी,
कितने मजदूरों ने जान गंवाई थी।
अर्थ तंत्र सब कैद हुआ तहखाने में,
बंद हुआ व्यापार घटाव खजाने में।
बत्ती गुल कर दीप जलाना मत पूछो,
कैसे बीता साल पुराना मत पूछो…॥

जून माह तक बढ़े बाल मूँछें दाढ़ी,
सोते मजदूरों को काट गयी गाड़ी।
दारू की कीमत सरकारों ने जानी,
खुली दुकानें खूब बिकी मदिरा रानी।
खूब भरा हमने जुर्माना मत पूछो,
कैसे बीता साल पुराना मत पूछो…॥

आई जुलाई सहमी-सी शर्माती-सी,
चली अर्थ की बयार पुनः घबराती-सी।
शस्त्र हीन संग्राम चीन के संग हुआ,
सैनिक हुए शहीद देख मन तंग हुआ।
चीनी चूहे मार भगाना मत पूछो,
कैसे बीता साल पुराना मत पूछो…॥

आया माह अगस्त खुश थे नर-नारी,
राम लला मंदिर उदघाटन की बारी।
माह सितंबर खुश खबरी लेकर आया,
खेती कानूनों से बनिया घबराया।
सरकारों का जोड़-घटाना मत पूछो,
कैसे बीता साल पुराना मत पूछो…॥

अक्टूबर में तूफानों को भी झेला,
ऊपर से धरना प्रदर्शन का खेला।
माह नवम्बर में दिल्ली को आ घेरा,
सरदारों ने डाल दिया दिल्ली डेरा।
राजनीति का छोंक लगाना मत पूछो,
कैसे बीता साल पुराना मत पूछो…॥

माह दिसंबर में बर्फीली हवा चली,
वैक्सीन आने की चर्चा गाँव गली।
चढ़ा भेंट यह वर्ष एक बीमारी के,
देखे कड़वे रूप मनुज लाचारी के।
आगे ‘हलधर’ वक्त सुहाना मत पूछो,
कैसे बीता साल पुराना मत पूछो…॥

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