यूँ ही नहीं बन जाती कविता

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* जब मन के भाव उमड़ते हैं,दर्द दिलों के छलकते हैंकलम हाथ में आ जाती है,कागज़ की कोरी छाती परअश्रु कणों की स्याही से ही,तब बन पाती मेरी कविता।यूँ ही नहीं बन जाती कविता… मिलना-बिछुड़ना यहां,सब संयोग से होता हैकर्मों की गठरी सिर पर,जीवन भर वो ढोता हैजब दिल के … Read more

जाने से पहले…

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* सोच रही हूँ एक दिन में भी,इस दुनिया से जब जाऊंगीपास रखी में सभी कमाई,वृद्धाश्रम दे,तब जाऊंगी। अपनों को भी किया बहुत है,और अभी भी करती जाती हूँकौन मानता है इन सबको,संस्कारों से बँध जाती हूँ। गया बाल्यपन,गई जवानी,अब ढलता-सा सूर्य-तेज हूँव्यंग्य बाण चुभते जब उनके,लगता काँटों बिछी सेज … Read more

आ भी जाओ दिलरुबा

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* महबूब मेरे जरा सुन-सुन,रुक जा रुक जा,ओ मेरे सनम।यूँ खफ़ा-खफ़ा क्यों रहती हो,जरा रुक जाओ तुम्हें मेरी कसम। दाँतों से दबा कर चुनरी को,जब नज़रें शरारत कर जाएं।उफ़्फ़! इस अदा के क्या कहने,हम वारि-वारि तुझ पर जाएं। फूलों का गजरा लेकर,कब से खड़ा हूँ राहों में।बालों में सजाऊंगा तेरे,और … Read more

बापू,देश का ये कैसा हाल!

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* गांधी जयंती विशेष………….. बापू तेरे इस देश का ये कैसा हाल है,बुझने लगी है जो तूने जलाई मशाल है। मन्दिर बने,मस्जिद बने और बन गए मण्डल,जो जल गया व कट मरा तेरा नौनिहाल है। दुनिया के दांव-पेंच में उलझा रहा हरदम,मुड़ कर भी जो आया न वो तेरा खयाल … Read more

प्यासा पंछी

    सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* उन्मुक्त गगन में उड़ता पंछी,     दूर-दूर तक जाता है…    अपनी प्यास बुझाने को,     वो धरती पर ही आता है।      जब भी आग लगती है वनों में,      ये जल्दी से भाग नहीं पाते हैं…      जल-भुन जाते आधे-अधूरे,      और प्यासे ही मर जाते … Read more

मैं हिदी हूँ…मैं हिंदी हूँ

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* हिंदी दिवस विशेष….. भारत माँ के भाल चमकती मैं वो बिंदी हूँ,जो हिन्द देश का मान बढ़ाए,मैं वो हिंदी हूँ। सदियों से मुझसे ही तो ज्ञान की ज्योति जली है,मेरी ही गोदी में छोटी उर्दू बहिन पली है।सभी भाषाएं मेरी सहेली,जिन्हें साथ ले के चली हूँ,मैं हिंदी हूँ…मैं हिंदी … Read more

लफ्ज़ का पत्थर जब…

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* लफ़्ज़ का पत्थर जो मारा था तुमने,वो दिन याद है जब रुलाया था तुमने। कैसे भूल जाऊं वो शीशे की किरचें,जो जान बूझ कर चुभाई थी तुमने। आएगा जमीं पे तू गुनाहगारों की मानिंद। किसी ने कहा कुछ तुम यकीं कर गए,जो प्यार था तुम्हारा वो किसे दे गए … Read more

हे मेरी बरसात प्रिये

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* रिम-झिम रिम-झिम जब आती हो,तन-मन सबका झूमे है।तुझसे मिलकर धरती ये,तुझे बड़े प्यार से चूमे है।आ गले लगा लूँ तुझको,हे मेरी बरसात प्रिये…ll तुमसे हसीं न कोई जग में,प्रेमीजन तेरी बाट तकेंlतेरा साथ देने को कोहरा,छा जाता है अम्बर में।मैं भी ऊँची उड़ान भरूँ संग,हे मेरी बरसात प्रिये…ll तेरे … Read more

जुल्मी

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* हर युग में मिलते रहे जुल्मी,जिसने भी यहां राज किया।गया बाबर तो अंग्रजों ने,जम कर अत्याचार किया। कितने चढ़े सूली पर यहां,कितनों का खून हुआ होगा।तब भी जुल्मी नर पिशाचों का,कभी पेट नहीं भरा होगा। अब भी देखो चौराहों पर,क्या लाठी-डंडे चलते हैं।जिनके अंदर भाव जुल्मी,वो जुल्म हमेशा करते … Read more

प्यार की खुशबू

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* प्यार की खुशबू से माँ की,खुश हो जाता छोटा बच्चा…लपक कर छाती से उसकी,मजे से दूध पीता है बच्चा। सच्चा प्यार दिलों में हो तो,हर आँगन में फूल खिलेंगे…प्यार की खुशबू से वो सब,हर समय महकते रहेंगे। प्यार की खुशबू रिश्तों में घोलो,रिश्ते फिर से महक उठेंगे…वही घर स्वर्ग … Read more