यूँ ही नहीं बन जाती कविता
सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली देहरादून( उत्तराखंड) ******************************************************* जब मन के भाव उमड़ते हैं,दर्द दिलों के छलकते हैंकलम हाथ में आ जाती है,कागज़ की कोरी छाती परअश्रु कणों की स्याही से ही,तब बन पाती मेरी कविता।यूँ ही नहीं बन जाती कविता… मिलना-बिछुड़ना यहां,सब संयोग से होता हैकर्मों की गठरी सिर पर,जीवन भर वो ढोता हैजब दिल के … Read more